चित्र -साभार गूगल |
एक प्रेम गीत -हो न हो मौसम बदल जाये
भींगते
इन फूल ,पत्तों में
चाँदनी हँसकर फिसल जाये |
थाम लूँ
मैं दौड़कर उसको
हो न हो मौसम बदल जाये |
यह उदासी
तोड़ दे शायद
घास पर बैठी हुई तितली ,
हमें तिरना
भी सिखा देगी
धार में बहती हुई मछली ,
होंठ से छूना
मेरी वंशी
प्रेम भींगा स्वर निकल जाये |
पी रहे हैं
हम हवा में विष
ख़ुशबुओं का द्वार खुल जाये ,
फिर जवाबी
ख़त मिले कोई
अजनबी का प्यार मिल जाये ,
माथ पर
बालार्क सी टिकुली
गहन अँधेरा निगल जाये |
फिर सिन्दूरी
मेघ संध्या के
इंद्रधनु की याद में खोये ,
अंकुरित
होने लगे सपने
जो किसी ने नयन में बोये ,
हमें सागर
तट मिले मोती
ज्वार सा यह मन उछल जाये |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
काश , सच मौसम बदल जाय । सुंदर गीत ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर प्रणाम
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-05-2021को चर्चा – 4,064 में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
हार्दिक आभार आपका।सादर प्रणाम
Deleteएवमस्तु ! ऐसा अवश्य होगा । अति सुन्दर भाव ।
ReplyDeleteअमृता जी आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन
Deleteअति सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका सर।सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुंदर गीत।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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