चित्र -साभार गूगल |
एक गीत -नदिया तो पानी के गीत सिर्फ़ गाती है
यह दुनिया
प्यासी है
प्यास लिए आती है |
नदिया तो
पानी के
गीत सिर्फ़ गाती है |
नदिया तो
मेघों की
आँखों का पानी है ,
कंकड़ ,पत्थर
राख और
रेत की कहानी है ,
कौन इसे
बाँचेगा
बिना लिखी पाती है |
खुश रहे
बबूलों में,
वासंती फूलों में ,
इसने कब
फर्क किया
पर्वत और धूलों में ,
लहरों पे
पान -फूल
और दिया -बाती है |
मछ्ली
मल्लाहों की
यह जीवन रेखा है ,
मौसम ने
इसका
हर रंग -रूप देखा है ,
रामकथा
केवट
संवाद यह सुनाती है|
तट पर
उत्सव -तीरथ
आरती ,शिवाले हैं ,
कटे -फटे
कूल कहीं
पंछी ,मृगछाले हैं ,
ज्ञानी
अज्ञानी को
मंत्र यह सिखाती है |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
बेहतरीन सृजन।
ReplyDeleteभाई शिवम जी आपका हार्दिक आभार
Deleteनदिया तो
ReplyDeleteमेघों की
आँखों का पानी है ,
कंकड़
पत्थर ,राख़
और रेत की कहानी है ,
कौन इसे
बाँचेगा
बिना लिखी पाती है | बहुत खूब।
हार्दिक आभार आपका
Deleteकविता के शब्द, बिम्ब और भाव; सभी अनुपम हैं। आप असाधारण कवि हैं तुषार जी। आपकी कविताओं की प्रशंसा करना तो मात्र एक औपचारिकता है।
ReplyDeleteसुंदर टिप्पणी के लिए हृदय से आभार आदरणीय। अतिशय प्रशंसा से जिम्मेदारी और बढ़ जाती है भटकन का खतरा रहता है लेकिन मनोबल भी बढ़ता है।सादर प्रणाम
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-05-2021 ) को 'मैं नित्य-नियम से चलता हूँ' (चर्चा अंक 4068) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
हार्दिक आभार आपका
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार।सादर अभिवादन
Deleteअद्भुत लिखा तुषार जी, वाह नदी के बहाने जीवन का यथार्थ ---नदिया तो
ReplyDeleteमेघों की
आँखों का पानी है ,
कंकड़ ,पत्थर
राख और
रेत की कहानी है ,
कौन इसे
बाँचेगा
बिना लिखी पाती है |---वाह
आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन।
Deleteअनुपम कृति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteनदी के प्रति प्रेम समर्पण और आत्मीय भाव को प्रेषित करती सुंदर रचना ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन
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