Monday, 1 December 2025

गीत नहीं मरता है साथी

 

चित्र साभार गूगल

एक पुराना गीत -

गीत नहीं मरता है साथी 


गीत नहीं 

मरता है साथी 

लोकरंग में रहता है |

जैसे कल कल 

झरना बहता 

वैसे ही यह बहता है |


खेतों में ,फूलों में 

कोहबर 

दालानों में हँसता है ,

गीत यही 

गोकुल ,बरसाने 

वृन्दावन में बसता है , 

हर मौसम की 

मार नदी के 

मछुआरों सा सहता है |


इसको गाती 

तीजनबाई 

भीमसेन भी गाता है ,

विद्यापति 

तुलसी ,मीरा से 

इसका रिश्ता नाता है ,

यह कबीर की 

साखी के संग 

लिए लुकाठी रहता है |


यही गीत था 

जिसे जांत के-

संग बैठ माँ गाती थी ,

इसी गीत से 

सुख -दुःख वाली 

चिट्ठी -पत्री आती थी ,

इसी गीत से 

ऋतुओं का भी 

रंग सुहाना रहता है |


सदा प्रेम के 

संग रहा पर 

युद्ध भूमि भी जीता है ,

वेदों का है 

उत्स इसी से 

यह रामायण, गीता है ,

बिना शपथ के 

बिना कसम के 

यह केवल सच कहता है |

चित्र साभार गूगल


पेंटिंग्स गूगल से साभार

Friday, 28 November 2025

केंद्रीय G. S. T. कार्यालय प्रयागराज में साहित्य आयोजन

  कल शाम सेन्ट्रल G. S. T परिसर में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ मेरे ग़ज़ल संग्रह का विमोचन भी हुआ. सभी आयुक्त एवं अपर आयुक्त गण मौजूद थे. आयोजन की जिम्मेदारी वरिष्ठ अनुवादक श्री उमेश कुमार मौर्य जी की थी. तीन दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का समापन भी कल था. ऑफिस के सभी अधिकारी कर्मचारी इस साहित्य कुम्भ में शामिल थे.

मेरा काव्य पाठ

ग्रुप फोटो

मेरे ग़ज़ल संग्रह का विमोचन
G. S. T. आयुक्त महोदय एवं अपर
आयुक्त श्री रजनीकांत मिश्र जी
एवं एम. रहमान



ग्रुप फोटो


Friday, 21 November 2025

एक ताज़ा प्रेम गीत -हँसी -ठिठोली

 

चित्र साभार गूगल

एक ताज़ा प्रेमगीत


बहुत दिनों के 

बाद आज फिर 

फूलों से संवाद हुआ.

हँसी -ठिठोली 

मिलने -जुलने का 

किस्सा फिर याद हुआ.


पानी की लहरों 

पर तिरते 

जलपंछी टकराये फिर,

पत्तों में उदास 

बुलबुल के 

जोड़े गीत सुनाये फिर 

आज प्रेम की 

लोक कथा का 

भावपूर्ण अनुवाद हुआ.


खुले -खुले 

आँगन में कोई 

खुशबू वंशी टेर रही,

भ्रमरों को 

सतरंगी तितली की 

टोली फिर घेर रही,

बंदी गृह से 

जैसे कोई 

मौसम फिर आज़ाद हुआ.

कवि जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र साभार गूगल



Saturday, 15 November 2025

एक ताज़ा गीत -कोई मांझी शंख बजाये

 

चित्र साभार गूगल

एक ताज़ा गीत.कलम ख़ामोश थी आज कुछ कोशिश किए.


कोई चिड़िया 

नीलगगन से 

मेरे आँगन में आ जाये.

मेरे प्रेम गीत को

फिर से फूल

पत्तियाँ, मौसम गाये.


बाहर का मौसम 

अच्छा है 

लेकिन मन में धुंध, तपन है,

चाँद कहीं पर 

सोया होगा 

खाली -खाली नीलगगन है,

खुशबू ओढ़े 

बैठे होंगे 

घाटी में पेड़ों के साये.


हिरन दौड़ते 

तेज धूप में 

नदियों की भुरभुरी रेत में,

फसलों से 

बतियाते होंगे 

कितने राँझे -हीर खेत में,

हरी भरी मेंड़ों पर 

कोई जोड़ा 

नीलकंठ आ जाये.


सूने वन में 

बनजारों के संग 

वंशी, मादल का मिलना,

उस पठार की 

भूमि धन्य है 

जिसमें हो फूलों का खिलना,

गंगा की धारा में 

जैसे कोई 

मांझी शंख बजाये.

कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल

Sunday, 9 November 2025

एक आस्था का गीत. देवभूमि उत्तराखंड

 

भगवान केदारनाथ



यह ऋषियों की भूमि
यहां की कथा निराली है।
गंगा की जलधार यहां
अमृत की प्याली है।

हरिद्वार, कनखल, बद्री
केदार यही मिलते
फूलों की घाटी में
अनगिन फूल यहां खिलते,
देवदार चीड़ों के वन
कैसी हरियाली है।

शिवजी की ससुराल
यहीं पर मुनि की रेती है,
दक्ष यज्ञ की कथा
समय को शिक्षा देती है,
मनसा देवी यहीं
यहीं मां शेरावाली है।

हर की पैड़ी जलधारों में
दीप जलाती है,
गंगोत्री यमुनोत्री
अपने धाम बुलाती है,
हेमकुण्ड है यहीं
मसूरी और भवाली है।

पर्वत घाटी झील
पहाड़ी धुन में गाते हैं,
देव यक्ष गंधर्व
इन्हीं की कथा सुनाते हैं,
कहीं कुमाऊं और कहीं
हंसता गढवाली है।

लक्ष्मण झूला शिवानन्द की
इसमें छाया है,
शान्तिकुंज में शांति
यहां ईश्वर की माया है,
यहीं कहीं कुटिया भी
काली कमली वाली है।

भारत माता मंदिर में
भारत का दर्शन है,
सीमा पर हर वीर
यहां का चक्र सुदर्शन है,
इनके जिम्मे हर दुर्गम
पथ की रखवाली है।

उत्सवजीवी लोग यहां
मृदुभाषा बोली है,
यह धरती का स्वर्ग
यहां हर रंग रंगोली है,
वन में कैसी हिरनों की
टोली मतवाली है।

यज्ञ धूम से यहां सुगन्धित
पर्वत नदी गुफाएं
यहीं प्रलय के बाद जन्म लीं
सारी वेद ऋचाएं,
नीलकण्ठ पर्वत की कैसी
छवि सोनाली है।

कवि/गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार


उत्तराखण्ड के समस्त निवासियों को समर्पित
चित्र uttarakhandevents.com से साभार

Tuesday, 4 November 2025

मेरे ग़ज़ल संग्रह का द्वितीय संस्करण

 मेरे ग़ज़ल संग्रह का द्वितीय संस्करण छप गया. नए कवर को डिजाइन किया है प्रोफ़ेसर अरुण जेतली जी ने. प्रकाशक लोकभारती. मूल्य 250 रूपये मात्र.


द्वितीय संस्करण


Friday, 31 October 2025

प्रयागराज आयकर भवन में हिन्दी पखवाड़ा कवि गोष्ठी

  दिनांक 28-10-2025 को आयकर भवन प्रयागराज में हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ एवं विभागीय कर्मचारियों का सम्मान. कार्यक्रम में आयकर आयुक्त श्रीमती मोना मोहंती जी. आयकर आयुक्त अपील तिवारी जी, अपर आयकर आयुक्त श्री शिव कुमार राय जी, उपनिदेशक राजभाषा हरिकृष्ण तिवारी जी, श्री मकरध्वज मौर्य जी और विभाग के श्रोतागण कविगण मौजूद रहे. प्रबुद्ध श्रोताओं के बीच एक खूबसूरत शाम का आनंद मिला.

आयकर आयुक्त श्रीमती मोना मोहंती को अपना ग़ज़ल
संग्रह भेंट करते हुए दिनांक 28-10-2025

कवि गोष्ठी में मकरध्वज मौर्य जी मुझे सम्मानित करते हुए

आयकर आयुक्त, आयकर आयुक्त अपील तिवारी जी 
राजभाषा उपनिदेशक हरिकृष्ण तिवारी एवं कवि गण

आयकर आयुक्त महोदया से सम्मान ग्रहण करते हुए



काव्य पाठ सुनते श्रोतागण आयकर भवन

अपर निदेशक आयकर श्री शिव कुमार राय जी
आयकर आयकर आयुक्त अपील श्री तिवारी जी
मध्य में आयकर आयुक्त सुश्री मोना मोहंती जी

Sunday, 12 October 2025

प्रयाग पथ पत्रिका का मोहन राकेश पर केंद्रित विशेषांक

 

प्रयागपथ

प्रयागपथ का नया अंक मोहन राकेश पर एक अनुपम विशेषांक है. इलाहाबाद विश्व विद्यालय जगदीश गुप्त, कृष्णा सोबती,अमरकांत डॉ रघुवंश, श्रीलाल शुक्ल और मोहन राकेश की जन्मशती मना रहा है.पत्रिका के यशस्वी सम्पादक भाई हितेश कुमार सिंह ने एक अविस्मरणीय विशेषांक मोहन राकेश पर निकाला है.प्रयागपथ का हर अंक पठनीय और संग्रहणीय रहता है.इस अंक में उच्चतम न्यायालय के ख्यातिलब्ध माननीय न्यायमूर्ति आदरणीय पंकज मित्तल साहब की कविताएं भी पढ़ने को मिलीं. इस अंक में मेरी किताब *सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है *पर भाई अनिल कुमार सिंह की समीक्षा प्रकाशित है. इस अंक में स्मृतियों के अंतर्गत श्री हेरम्ब चतुर्वेदी जी और डॉ हरीश त्रिवेदी का आलेख है. यतीश कुमार और काव्या कटारे की कहानियाँ और सुभाष राय, प्रदीप कुमार सिंह, अभिमन्यु प्रताप सिंह, लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता लोकेश श्रीवास्तव, सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, माननीय न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्तल जी परमेश्वर फुंकवालऔर शीला चौहान की कविताएं भी हैँ. मोहन राकेश पर कलम चलाने वाले रचनाकार नामदेव निधि सिंह मुष्टाक अली, रेणु अरोड़ा, मेरी हांसदा, श्रीधर करूणानिधि, विजेंद्र प्रताप सिंह, सत्यदेव त्रिपाठी, आभा गुप्ता ठाकुर,, राजाराम भादू, कुमार वीरेंद्र, अजय वर्मा, शम्पा शाह, राहुल शर्मा, एकता मंडल, खेमकरण सोमन, रमेश प्रजापति, जमुना कृष्ण राज, मलय पानेरी, सुनीता,, उपन्यास लोक में आशुतोष कुमार सिंह, डायरी डेरा कुबेर कुमावत मधुरेश, आशुतोष, असलम हसन,. समीक्षा कालम में विजय बहादुर सिंह, राजेश मल्ल, मिताश्री श्रीवास्तव, सुलोचना दास, रंजीत सिंह और अनिल कुमार शामिल हैँ. मैं सम्पादक और समीक्षा लेखक के प्रति आभारी हूँ.



पत्रिका प्रयागपथ 

सम्पादक -श्री हितेश कुमार सिंह 

सह सम्पादक -डॉ नीतू सिंह


Wednesday, 17 September 2025

एक गीत -सारा जंगल सुनता है

 

चित्र साभार गूगल

एक ताज़ा गीत -सारा जंगल सुनता है

चित्र साभार गूगल



चिड़िया जब 
गाती है मन से 
सारा जंगल सुनता है.

नए बाग में 
नए फूल जब 
विविध रंग में खिलते हैं,
भौरे, तितली 
खुशबू अक्सर 
इनसे उनसे मिलते हैं,
वल्कल पहने 
मौसम 
टहनी से फूलों को चुनता है.

कभी कभी
तो सपने मन के
इंद्र धनुष हो जाते हैं,
कभी स्वनिर्मित
महासुरंगो में
जाकर खो जाते हैं,
बूढ़ी आँखों
से बुनकर मन
जाने क्या क्या बुनता है.

कलम वही जो
कविताओं में
सबकी पीड़ा लिखती है,
धुंधले पंन्नों पर
सोने के
अक्षर जैसी दिखती है,
वृंदावन अब
अपने मन की
वंशी केवल सुनता है.

कवि-जयकृष्ण राय तुषार




चित्र साभार गूगल


Thursday, 11 September 2025

सूबेदार मेज़र हरविंदर सिंह जी से आत्मीय मुलाक़ात और पुस्तक भेंट

 भारतीय सेना विश्व की सबसे अनुशासित और बहादुर सेना है. भारत ही नहीं इस सेना के त्याग और बलिदान की गाथा समूचे विश्व में गुंजायमान है. भारत की एकता अखंडता और विविधता इनके पुरुषार्थ और पराक्रम से सुरक्षित है. नायक वो नहीं जो फिल्मों में दिखते हैँ. देश के असली हीरो नभ. जल और थल को सुरक्षित रखने वाले हमारे सैनिक हैं. जो पर्वत, पठार, दलदल, रेगिस्तान में भी कष्ट सहकर अपने देश को सुरक्षित रखते हैं. प्रयागराज में 6 बटालियन N. C. C. में आज ऐसे ही देश के बहादुर नायक आदरणीय सूबेदार मेज़र हरविंदर सिंह जी से मुलाक़ात कर मैंने अपनी पुस्तक भेंट किया. भारतीय सेना की गाथा युगों तक गाये जाने लायक है. समूचे विश्व में मानवता के लिए जहाँ जरूरत पड़ी भारतीय सेना ने अपने साहसिक अभियानों से देश का मान बढ़ाया. जयहिंद वन्देमातरम. सत श्री अकाल 


सूबेदार मेज़र श्री हरविंदर सिंह जी को
अपनी पुस्तक भेंट करते हुए


गीत नहीं मरता है साथी

  चित्र साभार गूगल एक पुराना गीत - गीत नहीं मरता है साथी  गीत नहीं  मरता है साथी  लोकरंग में रहता है | जैसे कल कल  झरना बहता  वैसे ही यह बहत...