ग़ज़ल
चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -
जब कभी थककर के लौटा गोद में सर धर दिया
माँ ने अपने जादुई हाथों से चंगा कर दिया
फूल, खुशबू, तितलियाँ, नदियाँ, परी सब रंग थे
सूनी आँखों में हमारी ख़्वाब किसने भर दिया
बर्फबारी, अग्निवर्षा, धूप, ओले, आधियाँ
मौसमों ने बस हरे पेड़ों को सारा डर दिया
जो भी माँगा दे दिए परिणाम की चिंता न थी
देवताओं ने हमेशा राक्षसों को वर दिया
पाँव हिरणों को मछलियों को नदी का जल दिया
आसमाँ छूना था जिसको बस उसी को पर दिया
बांसुरी और शंख होठों पर सजाकर देखिए
वक़्त ने बेज़ान चीजों को भी मीठा स्वर दिया
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 23 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार. सादर प्रणाम
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