Wednesday 14 August 2024

एक ग़ज़ल -यही हिमालय, तिरंगा ये हरसिंगार रहे

 

तिरंगा 

कल 15 अगस्त है भारत की आजादी /स्वतंत्रता का स्वर्णिम दिन. करोड़ों भारतीयों के बलिदान के बाद यह आजादी हमें मिली है. हम भाग्यशाली हैँ जिस देश मेँ गंगा है हिमालय है गीता है रामायण है प्रभु श्रीराम हैँ. यह असंख्य जीवनदायिनी नदियों का ऋषियों का देश है. समस्त देशवासियों प्रवासी भारतीयों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें शुभकामनायें. यह तिरंगा सदैव अपराजेय रहे. वन्देमातरम 


 


तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम 

एक पुरानी ग़ज़ल 


एक ग़ज़ल देश के नाम -


कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे


हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे 

कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे 


मैं जब भी जन्म लूँ गंगा तुम्हारी गोद रहे 

यही तिरंगा ,हिमालय ये हरसिंगार रहे 


बचूँ तो इसके मुकुट का मैं मोरपंख बनूँ 

मरूँ  तो नाम शहीदों में ये शुमार रहे 


ये मुल्क ख़्वाब से सुंदर है जन्नतों से बड़ा 

यहाँ पे संत ,सिद्ध और दशावतार रहे 


मैं जब भी देखूँ लिपट जाऊँ पाँव को छू लूँ 

ये माँ का कर्ज़ है चुकता न हो उधार रहे 


भगत ,आज़ाद औ बिस्मिल ,सुभाष भी थे यहीं 

जो इन्क़लाब लिखे सब इन्हीं के यार रहे 


आज़ादी पेड़ हरा है ये मौसमों से कहो 

न सूख पाएँ परिंदो को एतबार रहे 


तमाम रंग नज़ारे ये बाँकपन ये शाम 

सुबह के फूल पे कुछ धूप कुछ 'तुषार 'रहे 


कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार 

झाँसी की रानी 


चित्र -साभार गूगल 


चित्र -साभार गूगल -भारत के लोकरंग

22 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. हार्दिक आभार और सादर प्रणाम. कुछ व्यस्तता के कारण विलम्ब हो गया

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  2. आज़ादी पेड़ हरा है ये मौसमों से कहो, न सूख पाए, परिंदो को एतबार रहे. बहुत खूब तुषार जी.

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    1. विलम्ब हेतु क्षमा प्रार्थी हूँ कुछ व्यस्तता के कारण ब्लॉग पर आना नहीँ हुआ

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  3. स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
    बेहतरीन सार्थक भावप्रवण गजल सादर

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    1. सादर प्रणाम. हार्दिक आभार

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  4. "...
    हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे
    कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
    ..."

    वाह! हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ।
    और स्वतंत्रता दिवस पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 17 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. हार्दिक आभार. सादर प्रणाम. विलम्ब हेतु क्षमा प्राथी हूँ

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    1. हार्दिक आभार. सादर प्रणाम

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  7. देशप्रेम के भावों से सजी सुंदर रचना

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    1. हार्दिक आभार और सादर प्रणाम

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  8. वाह! तुषार जी ,बहुत खूब!

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    1. हार्दिक आभार और सादर प्रणाम

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  9. बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी रचना।

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    1. हार्दिक आभार और सादर प्रणाम

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  10. सुन्दर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक आभार और सादर प्रणाम

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  11. पोस्ट पर विलम्ब से आ पाया आभार व्यक्त करने में विलम्ब हेतु आप सभी से क्षमाप्रार्थी हूँ. स्नेह बनाये रक्खें वकालत के पेशे में हूँ इसलिए हूँ इसलिए व्यस्तता हो जाती है. सादर

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