Thursday 9 February 2023

एक गीत -स्मृतिशेष पिता को याद करते हुए

पिता की कोई तस्वीर मेरे पास नहीं है 


स्मृति शेष  पिता को याद करते हुए 


पिता!

घर की खिड़कियों

दालान में रहना।

यज्ञ की 

आहुति, कथा के

पान में रहना।


जब कभी

माँ को

तुम्हारी याद आयेगी,

अर्घ्य 

देगी तुम्हें

तुम पर जल चढ़ायेगी,

और तुम भी

देवता

भगवान में रहना।


अब नहीं

आराम कुर्सी,

बस कथाओं में रहोगे,

प्यार से

छूकर हमारा मन

समीरन में बहोगे,

फूल की

इन खुशबुओं में

लॉन  में रहना।


माँ!

हुई जोगन

तुम्हारा चित्र मढ़ती है,

भागवत 

के पृष्ठ सा 

वह तुम्हें पढ़ती है ,

स्वर्ग में

तुम भी 

उसी के ध्यान में रहना |


चाँद-तारों से 

निकलकर

कभी तो आना, 

हम अगर

भटकें, हमें फिर

राह दिखलाना,

सात सुर में

बांसुरी की

तान में रहना।


पिता!

हमने गलतियां की हैं

क्षमा करना,

हमें दे

आशीष

घर धन-धान्य से भरना,

तुम

हमारे गीत में

ईमान में रहना।

चित्र साभार गूगल 


No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -ग़ज़ल ऐसी हो

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल - कभी मीरा, कभी तुलसी कभी रसखान लिखता हूँ  ग़ज़ल में, गीत में पुरखों का हिंदुस्तान लिखता हूँ  ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत ...