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पद्मश्री शोवना नारायण जी को गीत संग्रह भेंट करते हुए . साथ में श्री राजेश प्रसाद निदेशक इलाहाबाद म्यूजियम |
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एक ग़ज़ल -अब तो बाज़ार की मेंहदी लिए बैठा सावन
चित्र साभार गूगल एक ग़ज़ल ग़ुम हुए अपनी ही दुनिया में सँवरने वाले हँसके मिलते हैं कहाँ राह गुजरने वाले घाट गंगा के वही नाव भी केवट भी वह...

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चित्र -साभार गूगल एक गीत -कहीं देखा गाछ पर गाती अबाबीलें ढूँढता है मन हरापन सूखतीं झीलें | कटे छायादार तरु अब ...
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तिरंगा कल 15 अगस्त है भारत की आजादी /स्वतंत्रता का स्वर्णिम दिन. करोड़ों भारतीयों के बलिदान के बाद यह आजादी हमें मिली है. हम भाग्यशाली हैँ...
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यह प्रयाग है यहाँ धर्म की ध्वजा निकलती है यह प्रयाग है यहां धर्म की ध्वजा निकलती है यमुना आकर यहीं बहन गंगा से मिलती है। संगम क...
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