चित्र साभार गूगल |
एक गीत -हँसी -ठिठोली मिलना -जुलना किस्सा सिर्फ़ हुआ
हँसी -ठिठोली
मिलना -जुलना
किस्सा सिर्फ़ हुआ.
कुशल -क्षेम
पैलगी, कहाँ है
अब आशीष, दुआ.
आभाषी दुनिया
में खोया
अबका सभ्य समाज,
एक अकेला
मन का पंछी
चिंताओं के बाज़,
पिंजरे में
अब राम -राम भी
कहता नहीं सुआ.
घर में
रहकर दूर हो गयीं
ननद और भौजाई,
सिरहाने से
गायब नीरज,
नंदा औ परसाई,
छठे -छमासे
लिए मिठाई
आती कहाँ बुआ.
रामचरित मानस से
ज्यादा
भाती बेब सीरीज,
सुबह पार्क
में मिले दवा का
नुस्खा लिए मरीज़,
परदेसी
यारों से मिलना -
जुलना ख़त्म हुआ.
कवि जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 14 फरवरी 2023 को साझा की गयी है
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आपका. सादर प्रणाम
Deleteबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार मनीषा जी
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