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| चित्र साभार गूगल | 
एक -पुण्य बाँटते संगम की जलधार देख लें
आओ साथी
नदी -त्रयी
का प्यार देख लें.
पुण्य बाँटते 
संगम की 
जलधार देख लें.
धूप, हवा से
मौसम से 
बतियाने का दिन,
गंगा की
लहरों पर 
फूल चढ़ाने का दिन
मन की
आँखों से
आओ उस पार देख लें.
रंगों के
दिन लौट रहे
टेसू अबीर के,
छंद पढ़ें
आओ मिलकर
तुलसी कबीर के,
कृष्ण भक्ति
में मीरा के
उदगार देख लें.
नए -नए
जोड़े सूरज
को अर्घ्य दे रहे,
कुछ खाली
कुछ भरी
नाव मल्लाह खे रहे,
घाट -घाट
पर जल पंछी 
पतवार देख लें.
कवि जयकृष्ण राय तुषार 
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| चित्र साभार गूगल | 
 
 
 
 
 
बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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