Monday 4 October 2021

एक प्रेमगीत-अच्छा सा मौसम हो

 

चित्र साभार गूगल

एक प्रेमगीत-अच्छा सा मौसम हो


शीशे की

खिड़की में

कोई तुमसा दिखता हो।

अच्छा सा

मौसम हो

कोई कविता लिखता हो।


नाव वहीं हो

गंगा-जमुना

मिली जहाँ हँसकर,

एक अजनबी

डरकर बाहों में

जकड़े कसकर,

नज़र झुकाए

कोई हँसकर

नीचे तकता हो ।


बेमौसम

बारिश हो

भींगे फूलों पर तितली,

आँखों में

काजल,सावन हो

होठों पर कजली,

झीलों में

डूबा-उतराता

सूरज दिखता हो ।


नुक्कड़-नुक्कड़

काशी 

मुँह में पान दबाए हो,

कोई जुड़े में

फूलों का

लॉन सजाए हो,

अपना ही

श्रृंगार देखकर

दरपन हँसता हो ।

कवि-जयकृष्ण राय तुषार


चित्र साभार गूगल


चित्र साभार गूगल

12 comments:

  1. सुंदर प्रेम गीत।

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    1. आपका हृदय से आभार भाई तिवारी जी

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  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 05 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका |सादर प्रणाम |

      Delete
  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(5-10-21) को "एक दीप पूर्वजों के नाम" (चर्चा अंक-4208) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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    1. आपका हृदय से आभार |नमस्ते कामिनी जी |

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  4. बहुत ही प्यारी रचना!

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    1. आपका ह्रदय से आभार |मनीषा जी सादर अभिवादन |

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  5. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन |

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  6. बहुत सुंदर तथा प्राकृतिक रंगों से सराबोर भावों की अभिव्यक्ति।

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