चित्र साभार गूगल |
एक प्रेमगीत-अच्छा सा मौसम हो
शीशे की
खिड़की में
कोई तुमसा दिखता हो।
अच्छा सा
मौसम हो
कोई कविता लिखता हो।
नाव वहीं हो
गंगा-जमुना
मिली जहाँ हँसकर,
एक अजनबी
डरकर बाहों में
जकड़े कसकर,
नज़र झुकाए
कोई हँसकर
नीचे तकता हो ।
बेमौसम
बारिश हो
भींगे फूलों पर तितली,
आँखों में
काजल,सावन हो
होठों पर कजली,
झीलों में
डूबा-उतराता
सूरज दिखता हो ।
नुक्कड़-नुक्कड़
काशी
मुँह में पान दबाए हो,
कोई जुड़े में
फूलों का
लॉन सजाए हो,
अपना ही
श्रृंगार देखकर
दरपन हँसता हो ।
कवि-जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल
सुंदर प्रेम गीत।
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार भाई तिवारी जी
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 05 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आपका |सादर प्रणाम |
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(5-10-21) को "एक दीप पूर्वजों के नाम" (चर्चा अंक-4208) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
आपका हृदय से आभार |नमस्ते कामिनी जी |
Deleteबहुत ही प्यारी रचना!
ReplyDeleteआपका ह्रदय से आभार |मनीषा जी सादर अभिवादन |
Deleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका |सादर अभिवादन |
Deleteबहुत सुंदर तथा प्राकृतिक रंगों से सराबोर भावों की अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Delete