चित्र साभार गूगल |
मित्रों मेरी यह ग़ज़ल भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित 'हिंदी की बेहतरीन ग़ज़लें 'साझा संग्रह में प्रकाशित है |स्मृतिशेष रवीन्द्र कालिया जी और श्री ज्ञानप्रकाश विवेक जी के सम्पादन में |
एक ग़ज़ल -उसी के क़दमों की आहट
उसी के क़दमों की आहट सुनाई देती है
कभी -कभार वो छत पर दिखाई देती है
वो एक ख़त है जिसे मैं छिपाए फिरता हूँ
जहाँ खुलूस की स्याही दिखाई देती है
मैं उससे बोलूँ तो वो चुप रहे ख़ुदा की तरह
मैं चुप रहूँ तो ख़ुदा की दुहाई देती है
तमाम उम्र उँगलियाँ मैं जिसकी छू न सका
वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
वो एक बच्ची खिलौनों को तोड़कर सारे
बड़े खुलूस से माँ को सफ़ाई देती है
जयकृष्ण राय तुषार
एक पुरानी पोस्ट
श्री रवीन्द्र कालिया पूर्व निदेशक भारतीय ज्ञानपीठ |
अपने शानदार लेखन और बेजोड़ सम्पादकीय हुनर के लिए भारतीय ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक और नया ज्ञानोदय के पूर्व सम्पादक रवीन्द्र कालिया हमेशा याद किये जाते रहेंगे | डॉ धर्मवीर भारतीय के साथ धर्मयुग से लम्बे समय तक जुड़े रहने के बाद इलाहाबाद में कालिया जी ने गंगा -जमुना का सम्पादन कर पत्रकारों की एक पीठी तैयार किया | ज्ञानपीठ को सचल बनाया और इलाहाबाद आकर ज्ञानपीठ ने अमरकांत को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया |नया ज्ञानोदय के कई लोकप्रिय विशेषांक कालिया जी के संपादन में प्रकाशित हुए जिसमें युवा विशेषांक ,प्रेम महाविशेषांक और ग़ज़ल महाविशेषांक विशेष रूप से चर्चित रहे | ग़ज़ल महाविशेषांक में उर्दू हिंदी गजलकारों को साथ -साथ प्रकाशित किया गया | बाद में उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें किताब के रूप में हमारे सामने आ गयी |अब हिंदी की बेहतरीन ग़ज़लें पुस्तक रूप में हमारे सामने है |इस किताब के प्रधान सम्पादक रवीन्द्र कालिया और सम्पादक ज्ञानप्रकाश विवेक हैं |इस संग्रह में कुल 64 गजलकारों को सम्मलित किया गया है |अमीर खुसरो ,कबीर ,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ,बद्रीनारायण उपध्याय प्रेमघन ,प्रताप नारायण मिश्र ,स्वामी रामतीर्थ ,लाला भगवानदीन ,मैथलीशरण गुप्त ,जयशंकर प्रसाद ,निराला ,त्रिलोचन ,शमशेरबहादुर सिंह दुष्यंत कुमार ,बलवीर सिंह रंग ,शलभ श्रीराम सिंह ,रामावतार त्यागी ,हरजीत सिंह ,अदम गोंडवी सहित तमाम आधुनिक गजलकार [मैं भी ] इस संग्रह में शामिल हैं |हम भाई ज्ञानप्रकाश विवेक ,आदरनीय रवीन्द्र कालिया और भारतीय ज्ञानपीठ के आभारी हैं ग़ज़ल विधा पर इस सुन्दर संकलन के लिए |
पुस्तक का नाम -हिन्दी की बेहतरीन ग़ज़लें
सम्पादक -रवीन्द्र कालिया
प्रकाशक -भारतीय ज्ञानपीठ ,नई दिल्ली
मूल्य -रु० -180 [सजिल्द ]
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (13-10-2021) को चर्चा मंच "फिर से मुझे तलाश है" (चर्चा अंक-4216) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--श्री दुर्गाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
ReplyDeleteडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आपका आदरणीय |सादर प्रणाम |
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 13 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
हार्दिक आभार आपका |सादर प्रणाम |
Deleteबेहतरीन ग़ज़ल ।
ReplyDeleteपुस्तक के लिए बधाई ।
हार्दिक आभार आपका |सादर प्रणाम |
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका |सादर प्रणाम
Deleteवाह! बहुत ही बेहतरीन!
ReplyDeleteपुस्तक के लिए ढेर सारी बधाइयाँ,मुबारकां जी... मुबारकां जी!
हार्दिक आभार आपका सादर अभिवादन |
Deleteलाजवाब गजल, बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं जयकृष्ण जी ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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