Monday, 11 January 2021

एक ताज़ा ग़ज़ल-डूबने वालों ने छोड़ा नहीं पानी कोई

 

एक ताज़ा ग़ज़ल-डूबने वालों ने छोड़ा नहीं पानी कोई

अब न दरिया में भँवर है न रवानी कोई

डूबने वालों ने छोड़ा कहाँ पानी कोई


कुछ कहा तुमने कुछ हमने भी चलो भूल गए

कल की बातों का कहाँ रह गया मानी कोई


कैमरा देखके हँसने का हुनर भूल गए

ढूँढते हैं चलो तस्वीर पुरानी कोई


एक मूरत से लगा दिल तो महल छोड़ दिया

इश्क़ में अब कहाँ मीरा सी दीवानी कोई


वीडियो गेम लिए सो गए बच्चे सारे

अब न राजा है न परियों की कहानी कोई

जयकृष्ण राय तुषार



18 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 11 जनवरी 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-1-21) को "कैसे बचे यहाँ गौरय्या" (चर्चा अंक-3944) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा



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  3. वाह!!!!
    लाजवाब गजल।

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  4. बहुत सुंदर।

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  5. बहुत सुन्दर

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  6. सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार अमृता जी
      बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं है
      ये आँखों के लिए अच्छा नहीं है [किसी शायर ने कहा है ]

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