Saturday, 23 January 2021

एक देशगान -अब यहीं बैठे गगन की गर्जना को चीर देंगे

 

देश की आन बान शान तिरंगा 

एक देशगान -

अब यहीं बैठे गगन की गर्जना को चीर देंगे 


अब नहीं 

लद्दाख ,जम्मू 

और हम कश्मीर देंगे|

अब यहीं बैठे 

गगन की 

गर्जना को चीर देंगे |


शांति के 

सारे कबूतर 

उड़ गए या मर गए हैं ,

सिंहनादों से 

हमारे सभी 

जंगल भर गए हैं ,

युद्ध में हम 

बेटियों को भी 

नई शमशीर देंगे |


अब पराजय 

दुश्मनों की ही ,

हमारा मंत्र होगा ,

विश्व का 

दीपक हमारे 

देश का गणतन्त्र होगा ,

क्षमा 

दुश्मन को नहीं 

अब दण्ड हम गम्भीर देंगे |


इन्द्र भी 

ब्रह्मोस ,राफेल 

की उड़ानों से डरेंगे ,

भेदिए ,

आतंकवादी, शत्रु 

सरहद पर  मरेंगे ,

ढूंढ लेंगे 

उन्हें जो 

माँ भारती को पीर देंगे |


हरे खेतों 

बाग वन में 

मौन चिड़ियों की चहक हो ,

अब नहीं बारूद ,

केसर और 

चन्दन की महक हो ,

शपथ लें हम 

मुल्क को 

अच्छी नई तस्वीर देंगे |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 


भारत की तकदीर बहादुर बेटियाँ 


7 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 24 जनवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर।
    --
    राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई हो।

    ReplyDelete
  3. सुंदर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  4. देशप्रेम से ओतप्रोत अति सुंदर सुंदर गीत ।

    ReplyDelete
  5. शत्रु को खरी- खरी सुनाती बहुत ही ओज भरी रचना तुषार जी |हरिओम पवार जी की रचनाएँ याद दिलाती हैं आपकी देश प्रेम की रचनाएँ |

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -नया साल

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -आगाज़ नए साल का भगवान नया हो  मौसम की कहानी नई उनवान नया हो  आगाज़ नए साल का भगवान नया हो  फूलों पे तितलियाँ हों ब...