तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम |
को जयहिंद और शुभकमनाएं
एक ग़ज़ल देश के नाम -
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
मैं जब भी जन्म लूँ गंगा तुम्हारी गोद रहे
यही तिरंगा ,हिमालय ये हरसिंगार रहे
बचूँ तो इसके मुकुट का मैं मोरपंख बनूँ
मरूँ तो नाम शहीदों में ये शुमार रहे
ये मुल्क ख़्वाब से सुंदर है जन्नतों से बड़ा
यहाँ पे संत ,सिद्ध और दशावतार रहे
मैं जब भी देखूँ लिपट जाऊँ पाँव को छू लूँ
ये माँ का कर्ज़ है चुकता न हो उधार रहे
भगत ,आज़ाद औ बिस्मिल ,सुभाष भी थे यहीं
जो इन्क़लाब लिखे सब इन्हीं के यार रहे
आज़ादी पेड़ हरा है ये मौसमों से कहो
न सूख पाएँ परिंदो को एतबार रहे
तमाम रंग नज़ारे ये बाँकपन ये शाम
सुबह के फूल पे कुछ धूप कुछ 'तुषार 'रहे
कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल |
चित्र -साभार गूगल -भारत के लोकरंग |
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDelete72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
हार्दिक आभार आपका अदरणीय
Deleteमैं जब भी देखूँ लिपट जाऊँ पाँव को छू लूँ
ReplyDeleteये माँ का कर्ज़ है चुकता न हो उधार रहे ।
बहुत सुंदर संदेश!
गणतंत्र दिवस की अशेष शुभकामनाएँ!--ब्रजेंद्रनाथ
आपका हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteये हवा, ये फूल, ये खुशबू, यही गुबार रहे; कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे । आपने तो समां बांध दिया तुषार जी ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका भाई जितेंद्र जी
Deleteमैं जब भी जन्म लूँ गंगा तुम्हारी गोद रहे
ReplyDeleteयही तिरंगा ,हिमालय ये हरसिंगार रहे !!!!!
बहुत खूब और वाह की हकदार आपकी कलम तुषार जी | माँ भारती की माटी को समर्पित ये स्नेहिल उदगार अपने आप में बहुत विशेष हैं | कलम का ये प्रवाह यूँ ही जारी रहे | हार्दिक शुभकामनाएं|
आपकी खूबसूरत टिप्पणियों से अपार प्रसन्नता मिलती है और कुछ नए सृजन की प्रेरणा मिलती है |दिल से आपका शुक्रिया |
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