Sunday, 24 January 2021

एक ग़ज़ल -उसकी शोहरत ने कभी शाख पे रहने न दिया

 

चित्र -साभार गूगल 

एक ग़ज़ल -

उसकी शोहरत ने कभी शाख पे रहने न दिया 


उसकी शोहरत ने कभी शाख पे रहने न दिया 

फूल को कुछ कभी हालात ने कहने न दिया 


प्यास पी जाती है दरिया  क्या ,समुंदर भी सुना 

बाँध ने स्वर्ग की गंगा को भी बहने न दिया 


ख़ुदकुशी करना बुरी बात उसे भी था पता 

पर किसी बात ने जिंदा उसे रहने न दिया 


अबकी बरसात ने कोशिश की गिराने की बहुत 

सिर्फ़ इक पेड़ ने  दीवार को  ढहने न दिया 


भूलती है कहाँ उस रात की किस्सागोई 

उसने कुछ भी न कहा, मुझको भी कहने न दिया 


कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र -साभार गूगल 

5 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 25 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर।
    कभी दूसरों के ब्लॉग पर भी कमेंट किया करो।
    राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई हो।

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    Replies
    1. सुझाव के लिए धन्यवाद |लेकिन कोर्ट की व्यस्तता की वजह से ऐसा रोज करना मेरे लिए संभव नहीं हो पाता फिर भी धन्यवाद दे देता हूँ |

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  3. अबकी बरसात ने कोशिश की गिराने की बहुत
    सिर्फ़ इक पेड़ ने दीवार को ढहने न दिया !
    एक कहानी एक शेर में समेटे सुंदर रचना तुषार जी |

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