चित्र -साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -
उसकी शोहरत ने कभी शाख पे रहने न दिया
उसकी शोहरत ने कभी शाख पे रहने न दिया
फूल को कुछ कभी हालात ने कहने न दिया
प्यास पी जाती है दरिया क्या ,समुंदर भी सुना
बाँध ने स्वर्ग की गंगा को भी बहने न दिया
ख़ुदकुशी करना बुरी बात उसे भी था पता
पर किसी बात ने जिंदा उसे रहने न दिया
अबकी बरसात ने कोशिश की गिराने की बहुत
सिर्फ़ इक पेड़ ने दीवार को ढहने न दिया
भूलती है कहाँ उस रात की किस्सागोई
उसने कुछ भी न कहा, मुझको भी कहने न दिया
कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 25 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteकभी दूसरों के ब्लॉग पर भी कमेंट किया करो।
राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई हो।
सुझाव के लिए धन्यवाद |लेकिन कोर्ट की व्यस्तता की वजह से ऐसा रोज करना मेरे लिए संभव नहीं हो पाता फिर भी धन्यवाद दे देता हूँ |
Deleteअबकी बरसात ने कोशिश की गिराने की बहुत
ReplyDeleteसिर्फ़ इक पेड़ ने दीवार को ढहने न दिया !
एक कहानी एक शेर में समेटे सुंदर रचना तुषार जी |