Tuesday, 16 August 2011

एक प्रेम गीत -मौसम तेरी हँसी चुराता

चित्र -गूगल से साभार 
एक गीत मौसम तेरी हंसी चुराता 
मौसम तेरी 
हँसी चुराता 
हँसते धानों में |
तुम्हीं महकती हो 
फूलों की इन 
मुस्कानों में |

सूने घर की 
पृष्ठभूमि में जाने 
कितने रंग सजाती ,
उत्सव के दिन 
घूँघट में तुम 
सबसे पहले मंगल गाती |
खिल जाते हैं 
रंग तुम्हीं से 
माँ के पानों में |

हरियाली के 
सपने लेकर 
मेघ गगन में छाये होंगे ,
मेंहदी और 
महावर वाले दिन 
तुमसे ही आये होंगे |
तेरी लौ से 
जल उठते हैं 
दिये मकानों में |

भूखे -प्यासे 
थके सफर से 
हम जब घर आते ,
तेरे होंठों पर 
खुशियों के 
इन्द्रधनुष छाते ,
पंछी बनकर 
उड़ती 
मेरे साथ उड़ानों में |

चित्र -गूगल से साभार 

8 comments:

  1. कोमल एवं मृदुल प्रेम अभिव्यक्ति।

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  2. भूखे -प्यासे
    थके सफर से
    हम जब घर आते ,
    तेरे होंठों पर
    खुशियों के
    इन्द्रधनुष छाते ,
    पंछी बनकर
    उड़ती
    मेरे साथ उड़ानों में |

    प्रेम के विविध रूपों को सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है आपने ....!

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  3. बहुत सुन्दर गीत...बधाई..

    नीरज

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  4. सूने घर की
    पृष्ठभूमि में जाने
    कितने रंग सजाती ,
    उत्सव के दिन
    घूँघट में तुम
    सबसे पहले मंगल गाती |

    Wah ....Bahut Sunder...

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  5. हमेशा की तरह सहज और सटीक शब्दों का चयन...

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  6. prem sa pravahit, prem se paripoorna prem-geet...

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  7. कितनी तारीफ करूं सुंदर कविता की |बेमिसाल प्रस्‍तुति|

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