हँसी चुराता
हँसते धानों में |
तुम्हीं महकती हो
फूलों की इन
मुस्कानों में |
सूने घर की
पृष्ठभूमि में जाने
कितने रंग सजाती ,
उत्सव के दिन
घूँघट में तुम
सबसे पहले मंगल गाती |
खिल जाते हैं
रंग तुम्हीं से
माँ के पानों में |
हरियाली के
सपने लेकर
मेघ गगन में छाये होंगे ,
मेंहदी और
महावर वाले दिन
तुमसे ही आये होंगे |
तेरी लौ से
जल उठते हैं
दिये मकानों में |
भूखे -प्यासे
थके सफर से
हम जब घर आते ,
तेरे होंठों पर
खुशियों के
इन्द्रधनुष छाते ,
पंछी बनकर
उड़ती
कोमल एवं मृदुल प्रेम अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteभूखे -प्यासे
ReplyDeleteथके सफर से
हम जब घर आते ,
तेरे होंठों पर
खुशियों के
इन्द्रधनुष छाते ,
पंछी बनकर
उड़ती
मेरे साथ उड़ानों में |
प्रेम के विविध रूपों को सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है आपने ....!
बहुत सुन्दर रचना .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत...बधाई..
ReplyDeleteनीरज
सूने घर की
ReplyDeleteपृष्ठभूमि में जाने
कितने रंग सजाती ,
उत्सव के दिन
घूँघट में तुम
सबसे पहले मंगल गाती |
Wah ....Bahut Sunder...
हमेशा की तरह सहज और सटीक शब्दों का चयन...
ReplyDeleteprem sa pravahit, prem se paripoorna prem-geet...
ReplyDeleteकितनी तारीफ करूं सुंदर कविता की |बेमिसाल प्रस्तुति|
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