महान जननायक -अन्ना हजारे |
ईमान हुए वो
बन्दी कारागारों में |
भ्रष्टाचारी
पूजनीय हैं
पूजनीय हैं
राजा के दरबारों में |
अर्धरात्रि को
मिली हमें ये आज़ादी
कब भोर हुई ,
राजघाट पर
राजव्यवस्था कैसे
आदमखोर हुई ,
एक नहीं अब
कई शकुनि हैं
सत्ता के गलियारों में |
कई शकुनि हैं
सत्ता के गलियारों में |
तानाशाही
झुक जाती जब
जनता आगे आती है ,
हथकड़ियों
जेलों से कोई
क्रांति कहाँ रुक पाती है ,
कहाँ अहिंसा से
लड़ने की
लड़ने की
हिम्मत है तलवारों में |
फिर तिलस्म
तोड़ेगा कोई
हातिमताई आयेगा ,
अन्ना का
यह अनशन निश्चित
भ्रष्टाचार मिटाएगा ,
एक दिया भी
जला अगर तो
भय होगा अंधियारों में |
[यह कविता महान जननायक अन्ना हजारे को समर्पित ]
[यह कविता महान जननायक अन्ना हजारे को समर्पित ]
सन्नाट और सामयिक।
ReplyDeleteबहुत ओजपूर्ण ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteअन्ना जी को समर्पित यह कविता वास्तव में देश की सच्ची व्यथा है !
ReplyDeleteआभार !
खूबसूरत प्रस्तुति ....
ReplyDeleteएक दिया भी जला अगर तो भय होगा अंधियारों में |
ReplyDeleteवाह तुषार जी समय के अनुकूल एक दमदार गीत के लिए बहुत बहुत बधाई
राजघाट पर कर्फ़्यू की हालात बना दी थी।
ReplyDeleteप्रासंगिक और सार्थक प्रस्तुति ...
ReplyDeleteसारी की सारी व्यवस्था बदलने की ज़रूरत है...जब तक 'मै भी हूँ अन्ना' का जज्बा नहीं आएगा...बदलाव मुश्किल है...
ReplyDeleteओजपूर्ण ..समसामयिक रचना
ReplyDeleteगीत पसंद करने के लिए आप सभी का आभार
ReplyDeleteगीत पसंद करने के लिए आप सभी का आभार
ReplyDeleteजिनका है
ReplyDeleteईमान हुए वो
बन्दी कारागारों में |
भ्रष्टाचारी
पूजनीय हैं
दिल्ली के दरबारों में |
A perfect creation on present situation.
.
ओजपूर्ण,प्रभावशाली कविता है |सार्थक अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteबेहद सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबिलकुल सही लिखा है आपने -एक दिया भी अगर जला तो .....सार्थक प्रस्तुति .आभार
ReplyDeleteblog paheli no.1
जिनका है
ReplyDeleteईमान हुए वो
बन्दी कारागारों में |
भ्रष्टाचारी
पूजनीय हैं
दिल्ली के दरबारों में |
क्या बात है ! मुखर अभिव्यक्ति , वरण शुभ का ..प्रयाण....निश्चलता की दिशा .../साधुवाद जी राय साहब ......../
तुषार जी नमस्कार, आपका ब्लाग पर आना लेखनी का उत्साह बढाता है। आपकी यह रचना देश के हालात वयां करती हुई। देख मेरी पोस्ट में मेरी एक तुकब्न्दी कविता नाम मेरा भ्रष्टाचार ,सर्वव्यापी हूं मै तो यार और अपने विचारों से अवगत कराएं । साभार्।
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