Tuesday, 29 August 2023

एक गीत -गीत निराला के प्रयाग का गंगाजल है

दैनिक जागरण सप्तरंग पुनर्नवा पृष्ठ पर दिनांक 28-082023
को प्रकाशित गीत 

 
चित्र साभार गूगल 


एक ताज़ा गीत 


गीत निराला के प्रयाग का गंगाजल है


गीत वही

जो प्यासी -

ऋतु को सावन कर दे.

गंधहीन

फूलों में

भीनी खुशबू भर दे.


गीत सतपुड़ा

और नर्मदा 

की कल- कल है,

गीत

निराला के 

प्रयाग का गंगाजल है,

गीत वही

जो कृष्ण -

अधर पर वंशी धर दे.


गीत

प्रेम की नदी

परिंदो की उड़ान है,

संस्कार

उत्सव का यह

आदिम मकान है,

गीत विरह

ही नहीं

सरहदों पर भी स्वर दे.


गीत

वही जो तुलसी

विद्यापति गाते हैं,

गीत

वही जो

मीराबाई को भाते हैं,

गीत वही

जो बाल्मीकि

को पावन कर दे.


फागुन का

रंग जीवन की

उम्मीद गीत है,

बंजारों की 

हर मुश्किल में,

यही मीत है,

गीत

वही जो

भीमसेन सा जादू कर दे.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


2 comments:

  1. जादू तो आपके शब्द कर देते हैं तुषार जी।

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  2. हार्दिक आभार भाई साहब. सब आपका स्नेह है. सादर अभिवादन

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