तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम |
एक पुरानी ग़ज़ल
एक ग़ज़ल देश के नाम -
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
मैं जब भी जन्म लूँ गंगा तुम्हारी गोद रहे
यही तिरंगा ,हिमालय ये हरसिंगार रहे
बचूँ तो इसके मुकुट का मैं मोरपंख बनूँ
मरूँ तो नाम शहीदों में ये शुमार रहे
ये मुल्क ख़्वाब से सुंदर है जन्नतों से बड़ा
यहाँ पे संत ,सिद्ध और दशावतार रहे
मैं जब भी देखूँ लिपट जाऊँ पाँव को छू लूँ
ये माँ का कर्ज़ है चुकता न हो उधार रहे
भगत ,आज़ाद औ बिस्मिल ,सुभाष भी थे यहीं
जो इन्क़लाब लिखे सब इन्हीं के यार रहे
आज़ादी पेड़ हरा है ये मौसमों से कहो
न सूख पाएँ परिंदो को एतबार रहे
तमाम रंग नज़ारे ये बाँकपन ये शाम
सुबह के फूल पे कुछ धूप कुछ 'तुषार 'रहे
कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल |
चित्र -साभार गूगल -भारत के लोकरंग |
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 15 अगस्त 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16अगस्त 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
आपका हृदय से आभार
Deleteदेशप्रेम के भावों का सुंदर चित्रण।
ReplyDeleteआदरणीया आपका हृदय से आभार
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार सर
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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