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चित्र साभार गूगल |
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दैनिक जनसंदेश टाइम्स लख़नऊ |
एक ग़ज़ल -शोख ग़ज़लों में तसव्वुर को सजाने के लिए
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दैनिक जनसंदेश टाइम्स लख़नऊ |
एक ग़ज़ल -शोख ग़ज़लों में तसव्वुर को सजाने के लिए
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एक गीत -एक चिड़िया शाख पर गाती हुई
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एक ग़ज़ल -नज़र रहे तो सारी दुनिया अच्छी है
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एक ग़ज़ल -
कभी हँसते हुए ऐसी कहाँ तस्वीर मिलती है
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पिता की कोई तस्वीर मेरे पास नहीं है |
स्मृति शेष पिता को याद करते हुए
पिता!
घर की खिड़कियों
दालान में रहना।
यज्ञ की
आहुति, कथा के
पान में रहना।
जब कभी
माँ को
तुम्हारी याद आयेगी,
अर्घ्य
देगी तुम्हें
तुम पर जल चढ़ायेगी,
और तुम भी
देवता
भगवान में रहना।
अब नहीं
आराम कुर्सी,
बस कथाओं में रहोगे,
प्यार से
छूकर हमारा मन
समीरन में बहोगे,
फूल की
इन खुशबुओं में
लॉन में रहना।
माँ!
हुई जोगन
तुम्हारा चित्र मढ़ती है,
भागवत
के पृष्ठ सा
वह तुम्हें पढ़ती है ,
स्वर्ग में
तुम भी
उसी के ध्यान में रहना |
चाँद-तारों से
निकलकर
कभी तो आना,
हम अगर
भटकें, हमें फिर
राह दिखलाना,
सात सुर में
बांसुरी की
तान में रहना।
पिता!
हमने गलतियां की हैं
क्षमा करना,
हमें दे
आशीष
घर धन-धान्य से भरना,
तुम
हमारे गीत में
ईमान में रहना।
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एक ग़ज़ल -नया ख़्वाब दिखाता भी नहीं
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प्रभु श्रीराम |
एक लोकभाषा गीत -जब तक रही राम कै दुनिया तुलसी के ही गाई
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गोस्वामी तुलसीदास |
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चित्र साभार गूगल |
एक सामयिक गीत -
बीत गयी
शाम, मौन
वंशी का स्वर.
फूलों के
वन टूटे
तितली के पर.
राग -रंग
गीत वही
मौसम ही बदले,
झील -ताल
सारस हैं
पंख लिए उजले,
कहकहे
नहीं बाकी
सजे हुए घर.
कदम -कदम
सौदे हैं
निष्ठुर बाज़ार,
उपहारों में
उलझा
राँझे का प्यार,
चलो कहीं
निर्जन में
हँस लें जी भर.
आओ फिर
स्वर दें
कुछ जोश भरे गीतों को,
फिर से
कुछ पत्र लिखें
बिछड़ गए मीतों को,
पटना, दिल्ली
काशी
या हो बस्तर.
कवि जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
अपार जनसंख्या के बावजूद आज भारत आत्मनिर्भर है और दुनिया में अपनी गौरवशाली छवि को स्थापित करने में सफल है. भारत विश्व गुरु बनने की तरफ अग्रसर है. भारत के कुशल नेतृत्व को निःसंदेह इसका श्रेय जाता है. प्रवासी भारतीयों ने भी भारत के गौरव को बढ़ाया है.हम भारतीयों को भी अपना शत प्रतिशत इस राष्ट्र के लिए योगदान करना चाहिए. राजनीति केवल सत्ता भोग और दलबदल के किये नहीं वरन जनकल्याण और राष्ट्र के उत्थान के लिए उसके गौरव और अभिमान के लिए होनी चाहिए. जय हिन्द जय भारत
देशगान
घिरते मेघो में प्रखर सूर्य
कौपीन, माथ पर चंदन है.
अनगिन सपूत सेवक तेरे
भारत माँ तेरा वंदन है.
अब राष्ट्र धर्म ही सर्वोपरि
भयमुक्त प्रजा, दिन खुशदिल है,
वन फूल, खेत में फसलें हैं
हर रात चाँदनी स्वप्निल है
बेटी झाँसी की रानी सी
बेटा नायक अभिनन्दन है.
सत्ता के भूखे दलबदलू
कब समझे मानस, गीता को,
रावण ने अबला नारी बस
समझा था माता सीता को,
भारत माँ तुझको शत प्रणाम
तेरी मिट्टी भी चन्दन है.
जिससे भारत का गौरव है
वह भारत का अभिमान रहे,
परिवार मुक्त हो दल सारे
हर नेता में ईमान रहे,
धृतराष्ट्र, और गांधारी के
घर शकुनि पराजय, क्रन्दन है.
जन -जन के हाथों हो मशाल
हर तिमिर ड़गर आलोकित हो,
अब मातृभूमि के चरणों में
जयचंदों का प्रायश्चित हो,
इस धरती की नदियां अमृत
इसका हर उपवन नंदन है.
सब धर्मों का आदर इसमें
सब धर्मों का सम्मान रहे,
मजहब कोई हो हर बच्चा
भारत माँ की संतान रहे,
भारत में तेरे चरण तले
बीजिंग, अमरीका, लंदन है.
यह भूमि देव ऋषि, मंत्रो की
सरयू की मंगल धारा है,
शबरी से मिलते जहाँ राम
वह भारत कितना प्यारा है,
जो भक्ति, ज्ञान का सागर है
वह कृष्ण यशोदा नंदन है
चित्र -गूगल से साभार आप सभी को होली की बधाई एवं शुभकामनाएँ एक गीत -होली आम कुतरते हुए सुए से मैना कहे मुंडेर की | अबकी होली में ले आन...