Friday 1 July 2022

एक सामयिक गीत -शाम जुलाई की

भगवान जगन्नाथ जी 


एक ताज़ा गीत -शाम जुलाई की 


भीनी -सोंधी

गंध लिए है

शाम जुलाई की.

गूंज रही

आवाज़ हवा में

तीजनबाई की.


जगन्नाथ प्रभु

की मंगल

रथयात्रा जारी है,

मन मीरा

चैतन्य हो गया 

भक्ति तुम्हारी है,

तुमने कर दी

कथा अमर

प्रभु सदन कसाई की.


धूल भरे

पत्तों पर बूंदे

गंगासागर की,

लौटी सगुन

घटाएँ फिर से

सूने अम्बर की,

पटना वाली

भाभी करतीं

बात भिलाई की.


थके -थके से

पेड़ सुबह

अब देह तोड़ते हैं,

इंद्रधनुष

छाते घर से 

स्कूल छोड़ते हैं,

लुका -छिपी है

धूप -चाँह

बिजली, परछाई की.


बेला महकी

हरसिंगार

रातों को जाग रहे,

मोर नाचते

वन में

बेसुध चीतल भाग रहे,

मेहंदी से

फिर रौनक़ लौटी

हलद कलाई की.


जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


चित्र साभार गूगल 

30 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-07-2022) को चर्चा मंच     "उतर गया है ताज"    (चर्चा अंक-4478)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर प्रणाम शास्त्री जी

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  2. जुलाई की पहली शाम को आपकी इस काव्य-रचना ने सत्य ही मन को भीनी-सोंधी गंध से भर दिया है तुषार जी।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय माथुर साहब. सादर अभिवादन

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  3. बहुत सुंदर रचना

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  4. समसामयिक गीत । सब कुछ समेट लिया ।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  5. आपकी लिखी रचना सोमवार 4 जुलाई 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  6. वाह! बहुत सुंदर, तुषार जी।

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    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीय

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  7. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर प्रणाम आपको

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  8. अप्रतिम भाव सृजन।

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  9. जगन्नाथ प्रभु

    की मंगल

    रथयात्रा जारी है,

    मन मीरा

    चैतन्य हो गया

    भक्ति तुम्हारी है,

    तुमने कर दी

    कथा अमर

    प्रभु सदन कसाई की... बहुत ही सुंदर सृजन।

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  10. बहुत सुंदर सार्थक गीत ।

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  11. बहुत सुंदर गीत।
    सादर

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  12. क्या बात है तुषार जी!!
    एक सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति जिसमें मिठास
    के साथ विषय की गहराई है।बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  13. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर मनभावन गीत...
    सोंधी मिट्टी की खुशबू और जुलाई की बरसती साँझ।

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  14. गज़ब गीत , बधाई

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    1. हार्दिक आभार भाई साहब. सादर अभिवादन

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  15. मुग्ध करता सृजन।

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर प्रणाम

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