भगवान जगन्नाथ जी |
एक ताज़ा गीत -शाम जुलाई की
भीनी -सोंधी
गंध लिए है
शाम जुलाई की.
गूंज रही
आवाज़ हवा में
तीजनबाई की.
जगन्नाथ प्रभु
की मंगल
रथयात्रा जारी है,
मन मीरा
चैतन्य हो गया
भक्ति तुम्हारी है,
तुमने कर दी
कथा अमर
प्रभु सदन कसाई की.
धूल भरे
पत्तों पर बूंदे
गंगासागर की,
लौटी सगुन
घटाएँ फिर से
सूने अम्बर की,
पटना वाली
भाभी करतीं
बात भिलाई की.
थके -थके से
पेड़ सुबह
अब देह तोड़ते हैं,
इंद्रधनुष
छाते घर से
स्कूल छोड़ते हैं,
लुका -छिपी है
धूप -चाँह
बिजली, परछाई की.
बेला महकी
हरसिंगार
रातों को जाग रहे,
मोर नाचते
वन में
बेसुध चीतल भाग रहे,
मेहंदी से
फिर रौनक़ लौटी
हलद कलाई की.
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-07-2022) को चर्चा मंच "उतर गया है ताज" (चर्चा अंक-4478) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आपका. सादर प्रणाम शास्त्री जी
Deleteजुलाई की पहली शाम को आपकी इस काव्य-रचना ने सत्य ही मन को भीनी-सोंधी गंध से भर दिया है तुषार जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय माथुर साहब. सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteसमसामयिक गीत । सब कुछ समेट लिया ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 4 जुलाई 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
वाह! बहुत सुंदर, तुषार जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. सादर प्रणाम आपको
Deleteअप्रतिम भाव सृजन।
ReplyDeleteजगन्नाथ प्रभु
ReplyDeleteकी मंगल
रथयात्रा जारी है,
मन मीरा
चैतन्य हो गया
भक्ति तुम्हारी है,
तुमने कर दी
कथा अमर
प्रभु सदन कसाई की... बहुत ही सुंदर सृजन।
हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुंदर सार्थक गीत ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुंदर गीत।
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteक्या बात है तुषार जी!!
ReplyDeleteएक सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति जिसमें मिठास
के साथ विषय की गहराई है।बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏
हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर मनभावन गीत...
सोंधी मिट्टी की खुशबू और जुलाई की बरसती साँझ।
हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteगज़ब गीत , बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई साहब. सादर अभिवादन
Deleteमुग्ध करता सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. सादर प्रणाम
Delete