Friday 22 July 2022

एक देशगान -आज़ादी के अमृत महोत्सव पर

तिरंगा 


आज़ादी के पचहत्तर वर्ष पूर्ण होने पर 13 अगस्त से 15 अगस्त हर घर में तिरंगा फहराना चाहिए.भारत सरकार की मंशा है. राष्ट्र के प्रति हमारा भी पावन कर्तव्य है. वन्देमातरम 


एक देशगान -घर घर उड़े तिरंगा


आज़ादी का

वर्ष पचहत्तर

घर -घर उड़े तिरंगा.

इसके सम्मुख

कान्तिहीन है

इंद्रधनुष सतरंगा.


तेजस्वी हो

सूर्य गगन का

अँधेरा खो जाये,

सोने की

चिड़िया भारत

अब विश्व गुरु हो जाये,

बुद्ध, कृष्ण

की धरती भारत

रहे न झगड़ा, दंगा.


रामचरित की

भूमि यहीं है

इसमें रामकाथाएं,

यज्ञ, हवन की

आहुति इसमें

पढ़ती मंत्र दिशाएं

भारत माँ के

अधरों पर

बहती हैं यमुना, गंगा 



कला, संस्कृति

वेद मनोहर

तुलसी की चौपाई,

अनुसूया

सीता, गीता संग

इसमें मीराबाई,

सब धर्मों में

राष्ट्र प्रेम हो

मन हो सबका चंगा.


बोली भाषा

अनगिन संस्कृति

अनगिन रूपों वाली,

संग -संग

रहते भील, गोरखा

गढ़वाली, संथाली,

जम्मू, काशी

केरल, पटना

कामाख्या, होशंगा.


देव, प्रकृति

नारी, ऋषियों की

होती इसमें पूजा,

सबकी चिंता

करने वाला

राष्ट्र न कोई दूजा,

वृद्ध जनों का

आदर बचपन

रहे न भूखा नंगा.


चन्दन, केसर

की खुशबू हो

वन में फूल खिले,

वीर शहीदों

की गाथा को

घर घर मान मिले 

शौर्य हमारा

दावानल हो

दुश्मन बने पतंगा.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू 


22 comments:

  1. बुद्ध, कृष्ण की धरती भारत; रहे न झगड़ा, दंगा। आपकी भावनाओं से मैं पूर्णरूपेण सहमत हूँ आदरणीय तुषार जी। राष्ट्र के प्रति तनिक भी प्रेम हो तो न्यूनतम इतना तो प्रत्येक नागरिक करे। आपका यह गीत आपकी प्रतिष्ठा के अनुरूप ही है - वंदनीय।

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    1. हार्दिक आभार सर. सादर प्रणाम

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  2. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर प्रणाम

      Delete
  3. आपकी लिखी रचना सोमवार 25 जुलाई 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  4. आज़ादी के अमृत महोत्सव को समर्पित सुंदर रचना

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  5. देश प्रेम की भावना से ओत -प्रोत सारगर्भित रचना !!

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  6. देशप्रेम से भरी सबसे बढिया रचनाओं में एक। सरल, सुबोध और सुगम।

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  7. सहज,सरल ,देशभक्ति के भावों से परिपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर

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  8. वाह क्या कहने, लाजबाव सृजन

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

      Delete
  9. कला, संस्कृति

    वेद मनोहर

    तुलसी की चौपाई,

    अनुसूया

    सीता, गीता संग

    इसमें मीराबाई,

    सब धर्मों में

    राष्ट्र प्रेम हो

    मन हो सबका चंगा.
    वाह!!!!
    क्या बात..
    बहुत ही उत्कृष्ट सृजन।

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  10. आज़ादी की सुंदर बात ,बढ़िया रचना

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  11. सुंदर भावनाओं से सजा सार गर्भित देश भक्ति गीत 🙏🙏

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  12. अमृत महोत्सव को समर्पित सुंदर रचना

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