एक सामयिक भोजपुरी कविता
भ्रष्टाचारी सत्याग्रह में
खादी चोला गान्ही जी.
का एनकर क़ानून अलग हौ
सच सच बोला गान्ही जी.
चीन -पाक से यारी एनकर
खतरनाक मंसूबा हौ
सत्ता गईल ई तब्बो समझै
भारत एनकर सूबा हौ
का ई नेता खइले हउवन
भाँग क गोला गान्ही जी.
ना एनके हौ राम से मतलब
ना कान्हा औ गोपी जी
सत्तर साल से तुष्टिकरण कै
सर पर रखलें टोपी जी
ईडी देखिके फटल हौ
इनके पेट में गोला गान्ही जी.
10 जनपथ से ईडी दफ़्तर तक
ई कवन तमाशा हौ
संविधान में सबै बराबर
ना ई फुटल बताशा हौ
कहाँ लिखल हौ कोर्ट -कचहरी
हल्ला बोला गान्हीं जी
जनता समझै सबकर करनी
समझै का -का खेला हौ
अपने अपने लाभ के ख़ातिर
जंतर मंतर मेला हौ
टोना टोटका रानी के दरबार में
होला गान्ही जी
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