Tuesday, 30 November 2021

एक ग़ज़ल-हमारे दौर में भी फिर कोई आज़ाद बिस्मिल हो

 

आज़ाद

आज़ादी के अमृत महोत्सव पर

एक ग़ज़ल-हमारे दौर में भी


ये आज़ादी का उत्सव है खुशी के साथ हर दिल हो

हमें सोने की चिड़िया का वही सम्मान हासिल हो


किताबों में चचा नेहरू के ही सारे क़सीदे हैं

आज़ादी के सिलेबस में कहानी और शामिल हो


कोई भी मुल्क बस इतिहास से जिन्दा नहीं रहता

हमारे दौर में भी फिर कोई आज़ाद बिस्मिल हो


जवानों सरहदों पर फिर से दिवाली मना लेना

पीओके ,अक्साई चिन हमें इस बार हासिल हो


चुनावी पंचवटियों में कई मारीचि आएंगे

हिरन की चाल समझे इस तरह जनता ये क़ाबिल हो


तिरंगे,मुल्क का अपमान अब हरगिज़ नहीं सहना

समंदर से सितारों तक हमारी राह मंज़िल हो

जयकृष्ण राय तुषार

बिस्मिल


No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

प्रयागराज आयकर भवन में हिन्दी पखवाड़ा कवि गोष्ठी

   दिनांक 28-10-2025 को आयकर भवन प्रयागराज में हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ एवं विभागीय कर्मचारियों का सम्मान. कार्यक्रम...