सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका पीनाज़ मसानी |
एक ग़ज़ल-
कोई गा दे मुझे पीनाज मसानी की तरह
धूप के साथ में बारिश की कहानी की तरह
तुम हो सहरा में किसी झील के पानी की तरह
कोई पानी नहीं देता उसे मौसम के सिवा
फिर भी जंगल है हरा रात की रानी की तरह
वक्त ने छीन लिया वेश बदलकर सब कुछ
ज़िन्दगी हो गयी है कर्ण से दानी की तरह
मैं भी कहता हूँ ग़ज़ल डूब के तन्हाई में
कोई गा दे मुझे पीनाज़ मसानी की तरह
कब ठहरता यहाँ यादों का सुहाना मौसम
सिर्फ़ कुछ देर रहा आँख के पानी की तरह
कवि /शायर जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
बहुत ख़ूब तुषार जी, बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका सर
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०२ -१२ -२०२१) को
'हमारी हिन्दी'(चर्चा अंक-४२६६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक आभार आपका अनीता जी।सादर अभिवादन
Deleteसुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
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