Monday, 8 November 2021

एक ग़ज़ल-उसको तो बस वृन्दावन तक जाना है


चित्र साभार गूगल 

एक ग़ज़ल-सूरदास को वृन्दावन तक जाना है


फूल,तितलियाँ, खुशबू सिर्फ़ बहाना है

तुमसे ही हर मौसम का अफ़साना है


नींद टूटने पर चाहे जो मंज़र हो

आँखों को तो हर दिन ख्वाब सजाना है


भूख-प्यास सब भूले चिंता ईश्वर की 

सूरदास को वृन्दावन तक जाना है


जीवन का रंग बदले हर दिन मौसम सा

हर दिन इसमें रूठना और मनाना है


आसमान से सभी परिंदे लौट रहे

रहने को बस धरती एक ठिकाना है

कवि-जयकृष्ण राय तुषार



                             
चित्र साभार गूगल 



20 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार
    (9-11-21) को बहुत अनोखे ढंग"(चर्चा अंक 4242) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. आपका हृदय से आभार |सादर अभिवादन |

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  2. तुषार जी, आप गीतकार एवं कवि ही नहीं, उच्च कोटि के शायर भी हैं। यह ग़ज़ल इसका जीवंत प्रमाण है।

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    1. आपका हृदय से आभार |सादर अभिवादन |

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  3. आशा और विश्वास से परिपूर्ण सुंदर गजल ।

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  4. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-11-2021) को चर्चा मंच        "छठी मइया-कुटुंब का मंगल करिये"  (चर्चा अंक-4244)       पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    छठी मइया पर्व कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  5. वाह! बहुत सुंदर सृजन।

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  6. बहुत सुंदर

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  7. उम्दा ग़ज़ल

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  8. वाह बहुत सुंदर

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  9. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीया मधुलिका जी

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