चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल-सूरदास को वृन्दावन तक जाना है
फूल,तितलियाँ, खुशबू सिर्फ़ बहाना है
तुमसे ही हर मौसम का अफ़साना है
नींद टूटने पर चाहे जो मंज़र हो
आँखों को तो हर दिन ख्वाब सजाना है
भूख-प्यास सब भूले चिंता ईश्वर की
सूरदास को वृन्दावन तक जाना है
जीवन का रंग बदले हर दिन मौसम सा
हर दिन इसमें रूठना और मनाना है
आसमान से सभी परिंदे लौट रहे
रहने को बस धरती एक ठिकाना है
कवि-जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार
(9-11-21) को बहुत अनोखे ढंग"(चर्चा अंक 4242) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
आपका हृदय से आभार |सादर अभिवादन |
Deleteतुषार जी, आप गीतकार एवं कवि ही नहीं, उच्च कोटि के शायर भी हैं। यह ग़ज़ल इसका जीवंत प्रमाण है।
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार |सादर अभिवादन |
Deleteआशा और विश्वास से परिपूर्ण सुंदर गजल ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-11-2021) को चर्चा मंच "छठी मइया-कुटुंब का मंगल करिये" (चर्चा अंक-4244) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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छठी मइया पर्व कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आपका
Deleteवाह! बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteउम्दा ग़ज़ल
ReplyDeleteसुंदर सृजन...
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर,
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका आदरणीया मधुलिका जी
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