वरिष्ठ हिंदी गीत कवि -श्री माहेश्वर तिवारी |
वरिष्ठ गीत कवि आदरणीय माहेश्वर तिवारी जी के लिए जिन्हें बीमारी के बाद नया जीवन मिला है अब स्वस्थ होकर घर पर आ गये हैं -शतायु होने की शुभकामनाओं के साथ
माहेश्वर तिवारी जी के लिए एक गीत -
उसका होना उज्जयिनी में कालिदास के होने जैसा
उसका होना उज्जयिनी में कालिदास के होने जैसा
फूलों सा
मुरझा करके भी
लौटा जो वह गीतकार है |
उसका हँसना
छन्द सरीखा
उसका लिखना चमत्कार है |
पीतल की
नगरी में रहकर
जिसका दिल है सोने जैसा ,
उसका होना
उज्जयिनी में
कालिदास के होने जैसा ,
सब ऋतुओं का
रंग समेटे
मेघदूत की वह पुकार है |
उसकी कलम
कनेरों वाली
शब्दों में जादुई छुवन है ,
कविता के
निःस्सीम क्षितिज पर
इन्द्रधनुष सा उसका मन है |
गीतों को भी
वह प्यारा है
उसे गीत से बहुत प्यार है |
सोंधी मिटटी का
माहेश्वर
हिम शिखरों का नहीं पुजारी ,
वह बसंत के
फूलों जैसा
उसका घर फूलों की क्यारी ,
कवि शतायु
तक लिखते जाना
जीवन गीतों का उधार है |
कनेर के फूल |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-09-2016) को "खूब फूलो और फलो बेटा नितिन!" (चर्चा अंक-2464)) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह... बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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