एक सियासी ग़ज़ल मौजूदा स्थिति पर
मुल्क को मुल्क बनाते हैं बस इन्सान मियां
बम औ बंदूक से दुनिया है परेशान मियां
नाम हमदर्दी का साज़िश है बड़े लोगों की
बन्द बोतल से निकल आये हैं शैतान मियां
औरतों,बच्चों को क़ातिल के हवाले करके
अपने ही मुल्क से धोखा किये अफ़गान मियां
ख़्वाब कश्मीर का अब देखना छोड़ो प्यारे
सन इकहत्तर को नहीं भूलना इमरान मियां
हम अहिंसा के पुजारी है मगर याद रहे
है निहत्था नहीं कोई मेरा भगवान मियां
बेहतरीन ग़ज़ल कही है तुषार जी आपने।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार सर
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 02.09.2021 को चर्चा मंच पर होगी।
ReplyDeleteआप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
हार्दिक आभार आदरणीय विर्क साहब
Deleteहम अहिंसा के पुजारी है मगर याद रहे
ReplyDeleteहै निहत्था नहीं कोई मेरा भगवान मियां
बहुत खूब,लाजबाब सृजन,सादर नमन आपको
हार्दिक आभार आपका
Deleteसच लाजवाब ,हर देशवासी के मन में यह जज्बा होना चाहिए।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
हार्दिक आभार आपका
Deleteहम अहिंसा के पुजारी है मगर याद रहे
ReplyDeleteहै निहत्था नहीं कोई मेरा भगवान मियां
बहुत खूब 👌👌
उषा जी आपका हर्दिक आभार
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