Sunday, 11 April 2021

एक प्रेम गीत -फूलों में ,घाटी में कोई बैठा रेगिस्तान में

 

चित्र -साभार गूगल 

एक प्रेम गीत- फूलों में ,घाटी में कोई बैठा रेगिस्तान में

फूलों में,
घाटी में, कोई
बैठा रेगिस्तान में ।
ढाई अक्षर
प्रेम का
किसने बोला मेरे कान में ।

अलबम में
अनगिन छवियाँ
पर कोई भाती है,
फूल से
उड़कर तितली
मेरे ऑंगन आती है,
कुछ तो
शेर मोहब्बत -
वाले होते हर दीवान में ।

मैसेन्जर को
खोल के कोई
कहता हाय हैलो ,
भींग रहा है
लोनावाला
चुपके से निकलो,
याद अजन्ता
और एलोरा की
आती सुनसान में ।

दैहिक प्यार
क्षणिक है
मन का प्यार अनूठा है,
क्षितिज कहाँ
है इन्द्रधनुष
का किस्सा झूठा है,
परिचित से
दूरी जाने क्यों
मन लगता अनजान में ।

कवि-जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल 


12 comments:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-4-21) को "काश में सोलह की हो जाती" (चर्चा अंक 4035) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीया कामिनी जी

      Delete
  3. कोमल भावप्रवण रचना

    ReplyDelete
  4. बहुत प्यारी रचना।

    ReplyDelete
  5. दैहिक प्यार
    क्षणिक है
    मन का प्यार अनूठा है,
    क्षितिज कहाँ
    है इन्द्रधनुष
    का किस्सा झूठा है,
    परिचित से
    दूरी जाने क्यों
    मन लगता अनजान में ।..बहुत सुंदर भावों भरी रचना ।

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  6. हार्दिक आभार और सादर अभिवादन

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