चित्र -साभार गूगल |
एक गीत -
सिरफिरा बादल नदी की प्यास लिखता है
सूर्य का
सारा सफ़र
आकाश लिखता है |
सिरफिरा
बादल
नदी की प्यास लिखता है |
धूप के
दिन हैं
हरापन पेड़ पर कम है ,
चक्रवातों
आँधियों
का ख़ैर मकदम है ,
रोज
बंजारा कहीं
उपवास लिखता है |
बोतलों में
बन्द पानी
हवा बिकती है ,
दूर तक
वातावरण में
मृत्यु हँसती है ,
बोन्साई
पेड़ का
उपहास लिखता है |
पर्वतों की
शक्ल
बदली है पठारों में ,
ख़ुशबुओं में
भी मिलावट
है बहारों में ,
गीत में
भौंरा कहाँ
अनुप्रास लिखता है |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
मृत्यु हँसती है ,
ReplyDeleteबोन्साई
पेड़ का
उपहास लिखता है |
बहुत कुछ कहता सुन्दर गीत ...
आपका हृदय से आभार
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDelete--
श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
--
मित्रों पिछले तीन दिनों से मेरी तबियत ठीक नहीं है।
खुुद को कमरे में कैद कर रखा है।
आपको ईश्वर शीघ्र स्वस्थ करे ।आपको भी रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार सर
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई 🌹🌹
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-04-2021 को चर्चा – 4,044 में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
हार्दिक आभार आपका
Deleteख़ुशबुओं में
ReplyDeleteभी मिलावट
है बहारों में ,
गीत में
भौंरा कहाँ
अनुप्रास लिखता है |
..बहुत सुन्दर रचना। आपने कम ही शब्दों में आज की सच्चाई बयाँ कर दी है। साधुवाद आदरणीय तुषार जी।
आदरणीय सिन्हा साहब आपका हार्दिक आभार
Deleteबहुत ही खूबसूरत 👌👌👌👌👏👏👏👏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका ज्योति जी
Deleteवाह ! अनेक मोहक बिंबों से सजी वर्तमान हालातों को बयान करती सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत ही खूबसूरत और संदेश पूर्ण रचना! 👌👌👌👌👌👏👏👏👏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका मनीषा जी
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