Wednesday, 21 April 2021

एक गीत -सिरफिरा बादल नदी की प्यास लिखता है

 




चित्र -साभार गूगल 


एक गीत -

सिरफिरा बादल नदी की प्यास लिखता है 

सूर्य का 
सारा सफ़र 
आकाश लिखता है |
सिरफिरा 
बादल 
नदी की प्यास लिखता है |

धूप के 
दिन हैं 
हरापन पेड़ पर कम है ,
चक्रवातों 
आँधियों 
का ख़ैर मकदम है ,
रोज 
बंजारा कहीं 
उपवास लिखता है |

बोतलों में 
बन्द पानी 
हवा बिकती है ,
दूर तक 
वातावरण में 
मृत्यु हँसती है ,
बोन्साई 
पेड़ का 
उपहास लिखता है |

पर्वतों की 
शक्ल 
बदली है पठारों में ,
ख़ुशबुओं में 
भी मिलावट 
है बहारों में ,
गीत में 
भौंरा कहाँ 
अनुप्रास लिखता है |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र साभार गूगल 


20 comments:

  1. मृत्यु हँसती है ,
    बोन्साई
    पेड़ का
    उपहास लिखता है |

    बहुत कुछ कहता सुन्दर गीत ...

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  2. बहुत सुन्दर।
    --
    श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --
    मित्रों पिछले तीन दिनों से मेरी तबियत ठीक नहीं है।
    खुुद को कमरे में कैद कर रखा है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको ईश्वर शीघ्र स्वस्थ करे ।आपको भी रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

      Delete
  3. सुन्दर रचना

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  4. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई 🌹🌹

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  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-04-2021 को चर्चा – 4,044 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
  6. ख़ुशबुओं में
    भी मिलावट
    है बहारों में ,
    गीत में
    भौंरा कहाँ
    अनुप्रास लिखता है |
    ..बहुत सुन्दर रचना। आपने कम ही शब्दों में आज की सच्चाई बयाँ कर दी है। साधुवाद आदरणीय तुषार जी।

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    Replies
    1. आदरणीय सिन्हा साहब आपका हार्दिक आभार

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  7. बहुत ही खूबसूरत 👌👌👌👌👏👏👏👏

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  8. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका ज्योति जी

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  9. वाह ! अनेक मोहक बिंबों से सजी वर्तमान हालातों को बयान करती सुंदर रचना

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  10. बहुत ही खूबसूरत और संदेश पूर्ण रचना! 👌👌👌👌👌👏👏👏👏

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका मनीषा जी

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