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गंगा तट हरिद्वार |
गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें
एक गीत -गंगा हमको छोड़ कभी
गंगा हमको छोड़ कभी
इस धरती से मत जाना
तू जैसे कल तक बहती थी
वैसे बहती जाना.
तुम हो तो ये पर्व अनोखे
ये साधू, सन्यासी,
तुमसे कनखल, हरिद्वार है
तुमसे पटना, काशी,
जहाँ कहीं हर हर गंगे हो
पलभर माँ रुक जाना.
भक्तों के ऊपर ज़ब भी
संकट गहराता है,
सिर पर तेरा हाथ
और आँचल लहराता है,
मुझको भी है तेरे
पावन तट पर दीप जलाना.
माँ तुम नदी सदानीरा हो
कभी न सोती हो,
गोमुख से गंगासागर तक
सपने बोती हो,
जहाँ कहीं बंजर धरती हो
माँ तुम फूल खिलाना.
राजा, रंक सभी की नैया
हँसकर पार लगाती,
कंकड, पत्थर, शंख, सीपियाँ
सबको गले लगाती,
तेरे तट पर बैठ अघोरी
सीखे मंत्र जगाना.
छठे छमासे माँ हम
तेरे तट पर आएंगे,
पान फूल, सिंदूर
नारियल तुम्हें चढ़ाएंगे,
मझधारों में हम ना डूबें
माँ तुम पार लगाना.
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
यह गीत मेरे प्रथम संग्रह में प्रकाशित है.
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गंगा मैया |