चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल-
ग़ज़ल ये गीत ये किस्सा कहानी छोड़ जाऊँगा
तुम्हारा प्यार ये चेहरा नूरानी छोड़ जाऊँगा
अभी फूलों की खुशबू झील में सुर्खाब रखता हूँ
किसी दिन गुलमोहर ये रातरानी छोड़ जाऊँगा
हमारी प्यास इतनी है कि दरिया सूख जाते हैं
किसी दिन राख, मिट्टी, आग- पानी छोड़ जाऊँगा
अभी चिड़ियों की बंदिश सुन रहा हूँ पेड़ के नीचे
कभी हल बैल ये खेती किसानी छोड़ जाऊँगा
सफ़र में आख़िरी ,नेकी ही अपने साथ जाएगी
ये शोहरत और दौलत ख़ानदानी छोड़ जाऊँगा
कभी सुनना हो मुझको तो मेरा दीवान पढ़ लेना
किताबों में मैं फूलों की निशानी छोड़ जाऊँगा
दिलों की आलमारी में हिफ़ाजत से इसे रखना
इसी घर में मैं सब यादें पुरानी छोड़ जाऊँगा
मैं मिलकर ॐ में इस सृष्टि की रचना करूँगा फिर
ये धरती ,चाँद ,सूरज आसमानी छोड़ जाऊँगा
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
बहुत खूबसूरत गज़ल .... कमाल के शेर ...
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Delete