Friday, 22 March 2024

एक होली गीत -आम कुतरते हुए सुए से

 



चित्र -गूगल से साभार 

आप सभी को होली की बधाई एवं शुभकामनाएँ 
एक गीत -होली 

आम कुतरते हुए सुए से 
मैना कहे मुंडेर की |
अबकी होली में ले आना 
भुजिया बीकानेर की |

गोकुल ,वृन्दावन की हो 
या होली हो बरसाने की ,
परदेसी की वही पुरानी
आदत  है तरसाने की ,
उसकी आँखों को भाती है 
कठपुतली आमेर की |

इस होली में हरे पेड़ की 
शाख न कोई टूटे ,
मिलें गले से गले 
पकड़कर हाथ न कोई छूटे ,
हर घर -आंगन महके खुशबू 
गुड़हल और कनेर की |

चौपालों पर ढोल मजीरे 
सुर गूंजे करताल के ,
रुमालों से छूट न पायें 
रंग गुलाबी गाल के ,
फगुआ गाएं या फिर 
बांचेंगे कविता शमशेर की |

कवि जयकृष्ण राय तुषार
[मेरे इस गीत को आदरणीय अरुण आदित्य द्वारा अमर उजाला में प्रकाशित किया गया था मेरे संग्रह में भी है |व्यस्ततावश नया लिखना नहीं हो पा रहा है |

चित्र -गूगल से साभार 

10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 24 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. बहुत सुन्दर

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    1. हार्दिक आभार आपका. होली की शुभकामनायें

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  3. होली की शुभकामनाएं |

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    1. हार्दिक आभार आपका. आपको भी होली की शुभकामनायें

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  4. बहुत बहुत सुन्दर

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    1. हार्दिक आभार आपका. होली की शुभकामनायें

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  5. बहुत सुंदर रचना, होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. हार्दिक आभार हरीश जी. आपको भी होली की शुभकामनायें

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