Sunday, 12 May 2024

माँ -एक पुराना गीत माँ तुम गंगाजल होती हो

 

 

मेरी पत्नी के स्मृतिशेष पिता और माँ 
मेरी माँ   की कोई तस्वीर  नहीं है 

एक पुराना गीत मेरे प्रथम संग्रह सदी को सुन रहा हूँ मैं 'से 

मातृदिवस पर  सभी माताओं को समर्पित शब्द पुष्प 


माँ तुम गंगाजल होती हो 
मेरी ही यादों में खोयी 
अक्सर तुम पागल होती हो 
माँ तुम गंगाजल होती हो 

जीवन भर दुख के पहाड़ पर 
तुम पीती आँसू के सागर 
फिर भी महकाती फूलों सा 
मन का सूना संवत्सर 
जब -जब हम गति लय से भटकें 
तब -तब तुम मादल होती हो 

व्रत -उत्सव मेले की गणना 
कभी न तुम भूला करती हो 
सम्बन्धों की डोर पकड़कर 
आजीवन झूला करती हो 
तुम कार्तिक की धुली -
चाँदनी से ज्यादा निर्मल होती हो 

पल -पल जगती सी आँखों में 
मेरी खातिर स्वप्न सजाती 
अपनी उमर हमें देने को 
मंदिर में घंटियाँ बजाती 
जब -जब ये आँखें धुंधलाती 
तब -तब तुम काजल होती हो 

हम तो नहीं भागीरथ जैसे 
कैसे  सिर से कर्ज उतारें 
तुम तो खुद ही गंगाजल हो 
तुझको हम किस जल से तारें 
तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे 
तुम तो स्वयं कमल होती हो 

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र -साभार गूगल 

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 13 मई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. माँ का वरदहस्त, सदा रहे शीश पर. मधुर भावाभिव्यक्ति.

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  3. हम तो नहीं भागीरथ जैसे
    कैसे सिर से कर्ज उतारें
    तुम तो खुद ही गंगाजल हो
    तुझको हम किस जल से तारें
    तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे
    तुम तो स्वयं कमल होती हो

    बहुत सुंदर, मातृ दिवस पर माँ को समर्पित भावपूर्ण सुंदर गीत

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  4. बहुत सुन्दर

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  5. माँ को समर्पित सुन्दर काव्य ...

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