भारत माता |
[यह गीत भारत के समस्त सैन्यबल को समर्पित है ]
एक देशगान -
सन बासठ की नहीं रही यह माटी हिन्दुस्तान की
छेड़ो मत लद्दाख ,हिमालय
घाटी हिन्दुस्तान की |
सन बासठ की नहीं रही
अब माटी हिन्दुस्तान की |
हिन्द महासागर उबलेगा
धरती थर -थर कॉपेगी ,
बीजिंग अबकी बार
तुम्हारा कद भी दिल्ली नापेगी ,
टूटेगी दीवार चीन की
अब तेरे अभिमान की |
अनगिन रेजीमेंट डोगरा ,
सिक्ख ,नगा ,गढ़वाली हैं ,
मद्रासी ,पंजाब ,मराठा
राजपूत बलशाली हैं ,
बलिदानों की स्वर्णिम
गाथा यहाँ जाट बलवान की |
पंचशील के शांति
कपोतों को हम नहीं उड़ाते हैं ,
अब आँखों में आँख
डालकर दुश्मन से बतियाते हैं ,
अब हो वही तुम्हारी हालत
जैसी पाकिस्तान की |
ड्रैगन हो तुम इंसानों पर
विष के झाग उगलते हो ,
सबकी सरहद में घुसकर के
विश्व शांति को छलते हो ,
फिर तुमने अपवित्र कर
दिया है घाटी गलवान की |
ड्रैगन हो तुम इंसानों पर
विष के झाग उगलते हो ,
सबकी सरहद में घुसकर के
विश्व शांति को छलते हो ,
फिर तुमने अपवित्र कर
दिया है घाटी गलवान की |
अहंकार में तानाशाहों के
सिंहासन जलते हैं ,
रावण को श्रीराम ,कंस को
कृष्ण ,सुदर्शन मिलते हैं ,
शांतिकाल में बुद्ध ,युद्ध में
सुन्दर देश गान।
ReplyDeleteजय हिन्द।
हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत
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