Tuesday, 26 May 2020

एक देशगान -सन बासठ की नहीं रही अब माटी हिन्दुस्तान की

भारत माता 

[यह गीत भारत के समस्त सैन्यबल को समर्पित है ]
एक देशगान -
सन बासठ की नहीं रही यह माटी हिन्दुस्तान की
 


छेड़ो मत लद्दाख ,हिमालय 
घाटी हिन्दुस्तान की |
सन बासठ की नहीं रही 
अब माटी हिन्दुस्तान की |

हिन्द महासागर उबलेगा 
धरती थर -थर कॉपेगी ,
बीजिंग अबकी बार 
तुम्हारा कद भी दिल्ली नापेगी ,

टूटेगी दीवार चीन की 
अब तेरे अभिमान की |


अनगिन रेजीमेंट डोगरा ,
सिक्ख ,नगा ,गढ़वाली हैं ,
मद्रासी ,पंजाब ,मराठा 
राजपूत बलशाली हैं ,

बलिदानों की स्वर्णिम 
गाथा यहाँ जाट बलवान की |


पंचशील के शांति 
कपोतों को हम नहीं उड़ाते हैं ,
अब आँखों में आँख 
डालकर दुश्मन से बतियाते हैं ,

अब हो वही तुम्हारी हालत 
जैसी पाकिस्तान की |

ड्रैगन हो तुम इंसानों पर 
विष के झाग उगलते हो ,
सबकी सरहद में घुसकर के 
विश्व शांति को छलते हो ,

फिर तुमने अपवित्र कर 
दिया है घाटी गलवान की |


अहंकार में तानाशाहों के 
सिंहासन जलते हैं ,
रावण को श्रीराम ,कंस को 
 कृष्ण ,सुदर्शन मिलते हैं ,

शांतिकाल में बुद्ध ,युद्ध में 
यहाँ गदा हनुमान की |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
[सभी चित्र -साभार गूगल ]




हमारी सीमाओं के प्रहरी | जय जवान जय हिन्द
विश्व के सर्वश्रेष्ठ सैनिक 

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