भारत माँ के वीर बलिदानी सपूत [शहीद ] |
एक देशगान -
उसे क्षमा क्यों जो मानवता का दुश्मन ,हत्यारा है
सत्य अहिंसा
दया ,धर्म
सब कापुरुषों का नारा है |
उसे क्षमा क्यों
जो मानवता
का दुश्मन ,हत्यारा है |
कब तक
मौन तिरंगा
ढोयेगा वीरों की लाशों को ,
खत्म करो
लाहौर ,कराची
दोष न दो इतिहासों को ,
गरुडों से
जब कोई विषधर
लड़ा हमेशा हारा है |
घर में भूंजी
भाँग नहीं
पर हथियारों की मंडी है ,
हर दिन
राक्षस पैदा
करनेवाली रावलपिंडी है ,
ज्वालामुखियाँ
बुझा दिये हम
तू तो इक अंगारा है |
अग्नि और
ब्रह्मोस उड़े तो
टुकड़ों में बँट जायेगा ,
भारत माँ
के नेत्र खुले तो
नक्शे से मिट जायेगा ,
गिलगित
बाल्टिस्तान
भी लेंगे हमें जान से प्यारा है |
कैसा यह
रमजान बहाता
खून पड़ोसी घाटी में ,
याद नहीं अब
कितने हैं
बलिदान हमारी माटी में ,
फिर गीदड़
वाली फ़ौजों ने
सिंहों को ललकारा है |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
देशभक्ति के भावों से भयी आक्रोशित ओजपूर्ण अभिव्यक्ति सर।
ReplyDeleteसादर।
श्वेता जी आपका हृदय से आभार
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 7.5.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3694 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
आपका हार्दिक आभार आदरणीय |
Deleteदेशप्रेम से ओतप्रोत सुन्दर गीत
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी आपका हार्दिक आभार
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