प्रभु श्री राम |
एक गीत --आस्था का
राम ! तुम्ही थे राम ! अवध की माटी बोल रही
साक्ष्य सब निकल
निकल प्रणाम बोलने लगे ।
जो प्रमाण माँगते थे
राम बोलने लगे ।
राम ! तुम्ही थे राम ! अवध की माटी बोल रही
राम ! तुम्ही थे राम ! अवध की माटी बोल रही
साक्ष्य सब निकल
निकल प्रणाम बोलने लगे ।
जो प्रमाण माँगते थे
राम बोलने लगे ।
राम ! तुम्ही थे राम ! अवध की माटी बोल रही
सूर्यवंश के
रघुकुल की
परिपाटी बोल रही |
राम ! तुम्ही
थे राम ! अवध
की माटी बोल रही |
षडयंत्रों ने
इतिहासों में
झूठी लिखी कहानी ,
जलसमाधि
का अब भी
साक्षी है सरयू का पानी ,
एक एक
प्रतिमा रहस्य
का पर्दा खोल रही |
चित्रकूट
से श्रीलंका तक
वल्कल में वनवास रहा ,
बाल्मीकि
तुलसी को तेरे
होने पर विश्वास रहा ,
होने पर विश्वास रहा ,
अश्वमेध के
घोड़े का सच
काठी बोल रही |
घोड़े का सच
काठी बोल रही |
तुम हो अपराजेय
अजन्मा
कौन प्रमाणित करता ,
तेरे सम्मुख
शीश झुकाता
महाकाल भी डरता ,
यह नश्वर
दुनिया सोने
से माटी तोल रही |
भक्ति- भाव से
विह्वल होकर
सबरी के जूठे फल खाए,
जामवंत,सुग्रीव
पवनसुत को
भी हँसकर गले लगाए,
आँखों
देखी किष्किन्धा
की घाटी बोल रही ।
युग युग से
इस रामकथा को
भक्ति भाव से कहते ,
पवनपुत्र
हनुमान यहाँ पर
योगी बनकर रहते ,
कनक भवन के
कण कण में
माँ सीता डोल रही |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
भक्ति- भाव से
विह्वल होकर
सबरी के जूठे फल खाए,
जामवंत,सुग्रीव
पवनसुत को
भी हँसकर गले लगाए,
आँखों
देखी किष्किन्धा
की घाटी बोल रही ।
युग युग से
इस रामकथा को
भक्ति भाव से कहते ,
पवनपुत्र
हनुमान यहाँ पर
योगी बनकर रहते ,
कनक भवन के
कण कण में
माँ सीता डोल रही |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
रामजन्मभूमि समतलीकरण में प्राप्त मन्दिर के अवशेष चित्र -साभार गूगल |
बहुत ही सुन्दर गीत ... राम नाम तो हर ज़र्रा ज़र्रा बोलता है इस देश माटी और शरीर काका ... जय श्री राम ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार सर
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका |
Deleteउत्कृष्ट
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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