श्री कृष्ण और माँ यशोदा |
एक गीत -माँ
किसी गीत के सुन्दर मुखड़े जैसी मेरी माँ थी
गंगा ,जमुना ,
पोथी,पत्रा
और न जाने क्या थी ?
किसी गीत के
सुन्दर मुखड़े
जैसी मेरी माँ थी |
रामचरित
मानस .गीता सी
तुलसी आँगन की ,
एक जादुई
परीकथा है
मेरे बचपन की ,
अश्रु बहे
या दर्द सभी का
मेरी वही दवा थी ।|
मन्दिर की
घंटी ,कपूर सी
दिया ओसारे का ,
मौसम
पढ़ती रही
उम्र भर गिरते पारे का ,
सूखे में
बारिश ,गर्मी में
शीतल मंद हवा थी |
पुरखों का
तर्पण ,पोतों का
व्याह रचाती थी ,
उत्सव ,कथा
व्याह में मंगल
गीत सुनाती थी ,
बेटी ,बहू
पराये ,अपने
सबके लिए दुआ थी |
वंशी ,घूँघरू
पायल बनकर
दिनभर बजती थी ,
घर का थी
श्रृंगार मगर
माँ कभी न सजती थी ,
ओरहन सुनती
निर्णय देती
माँ इक राजसभा थी |
नंगे पाँव
पहुँचती थी
माँ खेत -कियारी में ,
पान दान में
पान फेरती
धान बखारी में ,
चूल्हा -चक्की
सानी -पानी
जाने कहाँ -कहाँ थी |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
सभी चित्र -साभार गूगल
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 08 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (08-05-2020) को "जो ले जाये लक्ष्य तक, वो पथ होता शुद्ध"
(चर्चा अंक-3695) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
"मीना भारद्वाज"
हार्दिक आभार मीना जी
Deleteसार्थक गीत
ReplyDeleteहार्दिक आभार शास्त्री जी
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteहृदयस्पर्शी सृजन ,सादर नमन आपको
ReplyDeleteकामिनी जी आपका हृदय से आभार
Deleteवाह !लाजवाब सृजन आदरणीय सर
ReplyDeleteसादर
अनीता जी आपका हार्दिक आभार
Deleteआदरणीय जयकृष्ण रे तुषार जी, माँ को केंद्र में रखकर उत्तम रचना।
ReplyDeleteवंशी ,घूँघरू
पायल बनकर
दिनभर बजती थी ,
घर का थी
श्रृंगार मगर
माँ कभी न सजती थी। --ब्रजेन्द्र नाथ
आपका हार्दिक आभार
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब सृजन माँ पर...
घर का थी
श्रृंगार मगर
माँ कभी न सजती थी ,
ओरहन सुनती
निर्णय देती
माँ इक राजसभा थी |
सुधा जी आपका हृदय से आभार
Deleteशिव का भी त्रिशुल , जिसके पैरों पर बरसाएं फुल,
ReplyDeleteजननी ही है वह, जहां मिट जाए सब शुल ।
बुहत ही सुंदर रचना है मां को समर्पित करके ।
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर सृजन माँ को समर्पित सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार |
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