चित्र -गूगल सर्च इंजन से साभार |
चलो कहीं
झील -ताल
कूलों से बात करें |
हाथ में
किताब लिए
फूलों से बात करें |
तुम्हें देख
स्वप्न उगेंगे
पठार, टीलों में ,
बातों की
गंध महक
जायेगी मीलों में ,
आओ फिर
टूटते
उसूलों से बात करें |
जी भर
बतियायेंगे
आज नहीं रोकना ,
होंठ पर
उँगलियाँ धर
मुझे नहीं टोकना ,
आओ इस
उपवन के
झूलों से बात करें |
थक कर भी
हाथों में हाथ
लिए चलना ,
छोर से
रूमालों के
रूमालों के
आँख भले मलना ,
पावों में
लिपटी इन
धूलों से बात करें |
भौरों को
फूलों के
चटख रंग भायेंगे ,
ये उदास
पंछी भी
तुम्हें देख गायेंगे |
छूट गये
रस्तों
स्कूलों से बात करें |
भाई जी, आपका यह गीत बहुत ही बढ़िया है. प्रेम-राग पर लिखे गये बेहतरीन गीतों में से एक. बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteबहुत हुआ सोचना...
ReplyDeleteचलो अब बातों की शुरुआत करें...
चलो बात करें...
बहुत सुन्दर है...
simple and sweet...
आओ फिर
ReplyDeleteटूटते
उसूलों से बात करें |
कमाल की पंक्तियाँ लिखी हैं.... बहुत खूब
इस बेहतरीन गीत के लिए बधाई ।
ReplyDeleteहाथ में
ReplyDeleteकिताब लिए
फूलों से बात करें |
...इलाहाबाद में हम तो यही करते थे....कहीं हम पर ही तो नहीं टीपा है तुषार जी.
आपकी रचना पढ़ कर एक और गीत याद आया ... ' फिर छिड़ी रात बात फूलों की .... ' ... बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ...
ReplyDeletegazalen to aapki achchhi hia hi par geet 'phulon se baat kare' ka koyi javab nahi. thanks tushar ji.
ReplyDeleteप्रेम से फूलो का फूलो से प्रेम का और प्रेम से सब का एह्शास बहुत कुछ बयां करती है
ReplyDeleteSantosh Kumar Rai
Adv. Highcourt Allahabad
mob. 9415973268