Friday, 4 March 2011

एक प्रेम गीत -फूलों से बात करें

चित्र -गूगल सर्च इंजन से साभार 
एक प्रेम गीत -फूलों से बात करें

चलो कहीं 
झील -ताल 
कूलों से बात करें |
हाथ में 
किताब लिए 
फूलों से बात करें |

तुम्हें देख 
स्वप्न उगेंगे 
पठार, टीलों में ,
बातों की 
गंध महक 
जायेगी मीलों में ,

आओ फिर 
टूटते 
उसूलों से बात करें |

जी भर 
बतियायेंगे 
आज नहीं रोकना ,
होंठ पर 
उँगलियाँ धर 
मुझे नहीं टोकना ,

आओ इस 
उपवन के 
झूलों से बात करें |

थक कर भी 
हाथों में हाथ 
लिए चलना ,
छोर  से 
रूमालों के  
आँख भले मलना ,

पावों में 
लिपटी इन 
धूलों से बात करें |

भौरों को
फूलों के 
चटख रंग भायेंगे ,
ये उदास 
पंछी भी 
तुम्हें देख गायेंगे |

छूट गये 
रस्तों 
स्कूलों से  बात करें |
चित्र -गूगल से साभार 


8 comments:

  1. भाई जी, आपका यह गीत बहुत ही बढ़िया है. प्रेम-राग पर लिखे गये बेहतरीन गीतों में से एक. बधाई स्वीकारें.

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  2. बहुत हुआ सोचना...
    चलो अब बातों की शुरुआत करें...
    चलो बात करें...
    बहुत सुन्दर है...
    simple and sweet...

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  3. आओ फिर
    टूटते
    उसूलों से बात करें |

    कमाल की पंक्तियाँ लिखी हैं.... बहुत खूब

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  4. इस बेहतरीन गीत के लिए बधाई ।

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  5. हाथ में
    किताब लिए
    फूलों से बात करें |

    ...इलाहाबाद में हम तो यही करते थे....कहीं हम पर ही तो नहीं टीपा है तुषार जी.

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  6. आपकी रचना पढ़ कर एक और गीत याद आया ... ' फिर छिड़ी रात बात फूलों की .... ' ... बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ...

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  7. gazalen to aapki achchhi hia hi par geet 'phulon se baat kare' ka koyi javab nahi. thanks tushar ji.

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  8. प्रेम से फूलो का फूलो से प्रेम का और प्रेम से सब का एह्शास बहुत कुछ बयां करती है
    Santosh Kumar Rai
    Adv. Highcourt Allahabad
    mob. 9415973268

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