Tuesday, 17 April 2012

एक गज़ल -फूल से मिलना तो फूलों सी तबीयत रखना

चित्र -गूगल से साभार 
एक गज़ल -फूल से मिलना तो फूलों सी तबीयत रखना 
खार से रिश्ता भले खार की सूरत रखना 
फूल से मिलना तो फूलों सी तबीयत रखना 

जब भी तकसीम किया जाता है हँसते घर को 
सीख जाते हैं ये बच्चे भी अदावत रखना 

हम किसे चूमें किसे सीने पे रखकर रोयें 
दौर -ए -ईमेल में मुमकिन है कहाँ खत रखना 

जिन्दगी बाँह में बांधा  हुआ  तावीज नहीं 
गर मिली है तो इसे जीने की कूवत  रखना 

रेशमी जुल्फ़ें ,ये ऑंखें ,ये हँसी के झरने 
किस अदाकार से सीखा ये मुसीबत रखना 

चाहता है जो तू दरिया से समन्दर होना 
अपना अस्तित्व मिटा देने की फितरत रखना 


जिसके सीने में सच्चाई के सिवा कुछ भी नहीं 
उसके होठों पे उँगलियों को कभी मत रखना 

जब उदासी में कभी दोस्त भी अच्छे न लगें 
कैद -ए -तनहाई की इस बज्म में आदत रखना  

इसको सैलाब भी रोके तो कहाँ रुकता है 
इश्क की राह, न दीवार, न ही छत रखना 
[ मेरी यह ग़ज़ल नया ज्ञानोदय के ग़ज़ल महाविशेषांक में प्रकाशित है ]
चित्र -गूगल से साभार 

27 comments:

  1. चाहता है जो तू दरिया से समन्दर होना
    अपना अस्तित्व मिटा देने की फितरत रखना

    गहरी अभिव्यक्ति...

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  2. जिन्दगी बाँह में बांधी हुई ताबीज नहीं
    गर मिली है तो इसे जीने की कूव्वत रखना

    ....बहुत खूब...बेहतरीन गज़ल...सभी शेर उम्दा..

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  3. चाहता है जो तू दरिया से समन्दर होना
    अपना अस्तित्व मिटा देने की फितरत रखना

    वाह ...बहुत खूबसूरत गजल

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  4. खार से रिश्ता भले खार की सूरत रखना
    फूल से मिलना तो फूलों सी तबीयत रखना
    क्या बात है !बेहतरीन नज्म ,नूरी ख्यालों के साथ .....आफरीन /

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  5. बहुत खूबसूरत ,भाव और शिल्प दोनों में ही ...
    मुआ ये ईमेल :)

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  6. वाह, बेहतरीन भाव, कोई सीमायें नहीं भावों की।

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  7. सुंदर ग़ज़ल है.. तमाम उर्दू लफ्जों के बीच संस्कृतनिष्ठ हिंदी शब्द 'अस्तित्व' खटक रहा है थोड़ा। अगर यहां वज़ूद होता तो कैसा रहता?

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  8. जिन्दगी बाँह में बांधी हुई ताबीज नहीं
    गर मिली है तो इसे जीने की कूव्वत रखना

    जिसके सीने में सच्चाई के सिवा कुछ भी नहीं
    उसके होठों पे उँगलियों को कभी मत रखना


    हर शेर यथार्थ के भावों से तराशे हैं आपने !
    बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ....

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  9. ''फूलो से मिलना हो तो फूलो सी तवीयत रखना ''अच्छी गजल के लिए बधाई ..

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  10. आदरणीय दीपिका जी यहाँ अस्तित्व वजूद से अधिक मुखर है |कहीं कहीं उर्दू शब्द बहुत अच्छे अर्थ देते हैं और कहीं हिंदी |शब्दों के साथ बहुत लिबरल होना चाहिए |लेकिन आपका सुझाव के लिए आभार |ब्लॉग पर आप सभी का आभार जिन्होंने यहाँ आकर मेरा उत्साहवर्धन किया है |

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  11. जब उदासी में कभी दोस्त भी अच्छे न लगें
    कैद -ए -तनहाई की इस बज्म में आदत रखना ...........tushar ji bahut hi sunder gajal ................dil bhavbhihor ho gaya padhkar ..urdu shabdo ka samavesh bhi bahut accha laga . waah ..............behatarin gajal ke liye hardik badhai .

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  12. शशि जी बहुत -बहुत शुक्रिया |

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  13. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 19 -04-2012 को यहाँ भी है

    .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....ये पगडंडियों का ज़माना है .

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  14. सभी शेर बहुत कमाल और खास लगे. सही कहा ईमेल के ज़माने में हाथों लिखा खत अब कहाँ.... अपनापन जो खत में होता था ईमेल में कहाँ...

    हम किसे चूमें किसे सीने पे रखकर रोयें
    दौर -ए -ईमेल में मुमकिन है कहाँ खत रखना

    जिन्दगी बाँह में बांधी हुई ताबीज नहीं
    गर मिली है तो इसे जीने की कूव्वत रखना

    दाद स्वीकारें.

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  15. चाहता है जो तू दरिया से समन्दर होना
    अपना अस्तित्व मिटा देने की फितरत रखना

    बहुत उम्दा है

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  16. जब भी तकसीम किया जाता है हँसते घर को
    सीख जाते हैं ये बच्चे भी अदावत रखना
    ..सच है

    बेहतरीन गज़ल

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  17. @ दौर -ए -ईमेल में मुमकिन है कहाँ खत रखना

    सही है ....
    :)

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  18. उम्दा ग़ज़ल है

    हर शेर नायाब

    बधाई स्वीकारें

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  19. तुषार जी,
    नमस्ते!
    हर एक अश'आर कामयाब!
    आखिरी वाला नायाब!
    आशीष
    --
    द नेम इज़ शंख, ढ़पोरशंख !!!

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  20. जिन्दगी बाँह में बांधी हुई ताबीज नहीं
    गर मिली है तो इसे जीने की कूव्वत रखना

    क्या बात है, बहुत शानदार ग़ज़ल, हर दृष्टि से।

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  21. अच्छी भाषा में अच्छी भावनाओं की यह प्रस्तुति पसंद आई। इसे पढ़कर ताज़गी का एहसास होता है।
    -----देवमणि पाण्डेय

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  22. हम किसे चूमें किसे सीने पे रखकर रोयें
    दौर -ए -ईमेल में मुमकिन है कहाँ खत रखना

    जिन्दगी बाँह में बांधी हुई ताबीज नहीं
    गर मिली है तो इसे जीने की कूव्वत रखना

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  23. प्रभाव शाली रचना के लिए बधाई !

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  24. जिन्दगी बाँह में बांधा हुआ तावीज नहीं
    गर मिली है तो इसे जीने की कूवत रखना
    ...लाज़वाब।

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  25. चाहता है जो तू दरिया से समन्दर होना
    अपना वजूद मिटा देने की फितरत रखना
    जिन्दगी बाँह में बांधा हुआ तावीज नहीं
    गर मिली है तो इसे जीने की कूवत रखना
    अच्छी रचना के लिए ढ़ेरों बधाइयाँ !!!!

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