चित्र -गूगल सर्च इंजन से साभार |
भक्ति भाव से प्रेम भाव से
हम करते गुणगान |
तुम्हारा हे शकंर भगवान
तुम्हारी जय शंकर भगवान |
तुम यह जग माया उपजाये
तेरी महिमा सुर नर गाये ,
तू भक्तों का ताप मिटाये ,
नीलकंठ विष पी कहलाये
तुम ही हो असीम भव सागर
तुम नाविक जलयान |
तेरी संगिनी सती भवानी
तेरे वाहन नंदी ज्ञानी ,
तेरे डमरू की डिम डिम से
निकलीं उमा ,रमा ,ब्रह्मानी ,
तू ही जग का अंधकार प्रभु
तू ही उज्जवल ज्ञान |
तीन लोक में काशी न्यारी
तुमको प्रिय भोले भंडारी ,
भूत प्रेत बेताल के संगी ,
हें भोले बाबा अड् भंगी ,
तेरी महिमा जान न पाये
चारो वेद पुराण |
तुम्ही प्रलय हो तुम्ही पवन हो
तुम यह धरती नीलगगन हो ,
जड़ चेतन के भाग्य विधाता
तुम्ही काल के असली ज्ञाता ,
तुम्ही पंचमुख महाकाल हो
तुम्ही पंचमुख महाकाल हो
ReplyDeleteतुम्ही सूर्य हनुमान |
shivratri aur shiv stuti ... mangalmay hua din
तुम्ही प्रलय हो तुम्ही पवन हो
ReplyDeleteतुम यह धरती नीलगगन हो ,
जड़ चेतन के भाग्य विधाता
तुम्ही काल के असली ज्ञाता ,
तुम ही सब कुछ हो ..काश हम तेरी महिमा जान पाते ...भक्ति भाव से सरावोर कर देने वाली रचना
भक्ति भाव से सरावोर कर देने वाली रचना|
ReplyDeleteआदरणीय रश्मि प्रभा जी भाई केवल राम जी भाई पट्टाली जी आप सबको भगवान शिव खुशहाल रखें ,हम तो मात्र एक कठपुतली हैं जब तक उसकी इच्छा होगी |सृजन करेंगे |
ReplyDeleteअच्छी रचना.
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की शुभकामनायें.
बहुत सुंदर स्तुति..... आभार
ReplyDeleteशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें....
आपको भी महाशिवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएं
ReplyDeleteबेहतरीन रचना । महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि पर इतना सुन्दर गीत पढ़वाने के लिए आभार.
ReplyDelete