Friday 8 November 2024

एक ग़ज़ल -कुशीनगर है यही

 

चित्र साभार गूगल 



कुशीनगर महात्मा बुद्ध का निर्वाण स्थल है और बौद्ध धर्म का पवित्र स्थल 

एक ग़ज़ल -कुशीनगर है यही 


तमाम जिंदगी का आखिरी सफ़र है यही 

भगवान बुद्ध का प्यारा कुशीनगर है यही 


यहाँ पे धम्म, अहिंसा की बात होती रही 

पवित्र बौद्ध मंदिरो का एक शहर है यही 


ये वन है फूल, तितलियों का ज्ञान वृक्षों का 

सभी के कान में गाता हुआ भ्रमर है यही 


तमाम संतो फकीरों की सिद्ध भूमि यही 

भगवान बुद्ध के निर्वाण से अमर है यही 


सभी का होता है स्वागत सभी से प्रेम यहाँ 

हमेशा मेला सजाये हुए नगर है यही 


जो इसको देखने आया यहीं का हो के गया 

ये बुद्ध पूर्णिमा प्रकाश की डगर है यही 


यहीं समीप में धूनी है नाथ पंथ की भी 

जो सबको बाँध ले जादूभरी नज़र है यही

जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र साभार गूगल 




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एक ग़ज़ल -कुशीनगर है यही

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