कवि /शायर गणेश गंभीर |
एक ग़ज़ल -कवि /शायर गणेश गंभीर
परिचय -गणेश गंभीर की जन्मभूमि मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश है जहाँ हिंदी की दशा और दिशा बदलने वाले कवि लेखक पैदा हुए. शक्तिपीठ माँ विंध्यवासिनी देवी के साथ मिर्जापुर की कजरी या कज्जली भी प्रसिद्ध है. 1954 में जन्मे श्री गणेश शंकर श्रीवास्तव ही गणेश गंभीर के रूप में साहित्य में सम्मानित है भारतीय डाक सेवा से सेवा निवृत्त हैं. कई git/नवगीत और ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हैं. अनुभव है जाना पहचाना श्वेतवर्णा प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित है मूल्य 160 रूपये है जो सराहनीय है. गणेश गंभीर जी की एक ग़ज़ल
ग़ज़ल -और कुछ भी नहीं
दुआ सलाम का रिश्ता था और कुछ भी नहीं
कभी कभार का मिलना था और कुछ भी नहीं
अज़ीब लोग हैं राई को कर दिये पर्वत
मिली जो आँख तो थिठका था और कुछ भी नहीं
मोहब्बतों का फ़साना कहा गया जिसको
किसी का गुजरा ज़माना था और कुछ भी नहीं
मेरे लिए वो मेरी जिंदगी का मकसद था
मैं उसके वास्ते रस्ता था और कुछ भी नहीं
करूँ बयान भला कैफियत में क्या उसकी
हसीन रात का सपना था और कुछ भी नहीं
तमाम उम्र जिसे दोस्ती कहा मैंने
वो एक जाल था, धोखा था और कुछ भी नहीं
शायर- गणेश गंभीर
किताब -ग़ज़ल संग्रह *अनुभव है जाना पहचाना *
मूल्य -160 रूपये
प्रकाशन -श्वेतवर्णा नई दिल्ली
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