Thursday, 7 November 2024

हिंदी ग़ज़ल में है

 

 

चित्र साभार गूगल 

एक ताज़ा ग़ज़ल -हिंदी ग़ज़ल में है 


उर्दू ग़ज़ल है इश्क, मोहब्बत महल में है 

जीवन का लोक रंग तो हिंदी ग़ज़ल में है


नदियों के साथ झील भी, दरिया भी,कूप भी 

लेकिन कहाँ वो पुण्य जो गंगा के जल में है 


मेरी ग़ज़ल तमाम रिसालों में छप गयी 

अनजान है इक दोस्त जो घर के बगल में है 


दरिया में चाँद देखके सब लोग थे मगन 

आँखों को सच पता था ये छाया असल में है 


धरती को फोड़ करके निकलते हैं सारे रंग 

सरसों का पीला रंग भी धानी फसल में है 


खुशबू के साथ सैकड़ों रंगों के फूल हैं 

रिश्ता गज़ब का दोस्तों कीचड़ कमल में है

 

वैसे शपथ लिए थे सभी संविधान की 

लेकिन कहाँ ईमान का जज़्बा अमल में है 


 कवि -जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र साभार गूगल 




16 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना

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    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शनिवार 09 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  3. बहुत सुंदर रचना

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  4. जीवन का लोक रंग तो हिंदी ग़ज़ल में है
    रिश्ता ग़ज़ब दोस्तों कीचड़ में कमल है
    ...बहुत खूब,,,,

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  5. नदियों के साथ झील भी, दरिया भी,कूप भी
    लेकिन कहाँ वो पुण्य जो गंगा के जल में है

    बहुत सुंदर बात!! हर अश्यार उम्दा है

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  6. दरिया में चाँद देखके सब लोग थे मगन

    आँखों को सच पता था ये छाया असल में है - behad sundar!

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  7. मेरी ग़ज़ल तमाम रिसालों में छप गयी, अनजान है इक दोस्त जो घर के बगल में है। क्या कहने हैं आपके अशआर के तुषार जी।

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    1. भाई साहब को हृदय से प्रणाम. हार्दिक आभार

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