Saturday 16 December 2023

एक गीत -देवभूमि में स्वेटर बुनता एक इलाहाबाद

गीतकवि यश मालवीय जी और साथ में उनकी 
धर्मपत्नी श्रीमती आरती मालवीय जी 


यश मालवीय एक बहुत ही प्रतिष्ठित गीत कवि हैं और मेरे मित्र भी पिता भी अद्भुत कवि थे और बच्चे भी. महालेखाकर कार्यालय से सेवानिवृत होकर इस समय बेटे के पास मंडी में हैं बेटे का नाम सौम्य मालवीय पोती चिया और धर्म पत्नी श्रीमती आरती मालवीय, एक बेटा अचिंत्य मालवीय चित्रकार अन्यत्र रहता है,उन्ही को समर्पित यह गीत. सादर 

एक गीत मित्र यश मालवीय को समर्पित 

मंडी की 

निर्मल घाटी में 

खोया हर अवसाद.

देवभूमि में

स्वेटर बुनता

एक इलाहाबाद.


गंगा मन में

मगर सामने

व्यास नदी की धारा,

साथ आरती

भाभी यश के

मौसम कितना प्यारा,

ए. जी. अड्डे

की बैठक की

सिर्फ़ बची है याद.


ओले बर्फ़

गीत में होंगे

फूल, परी के किस्से,

थोड़ा थोड़ा

प्यार बँटेगा

सौम्य, चिया के हिस्से,

राग पहाड़ी

पर्वत, घाटी

छेड़े अनहद नाद.


पेड़ -परिंदे

छूटे सारे

जाने -पहचाने,

यात्राओं में

परिचित होते

रस्ते अनजाने,

क्या दिल्ली

भोपाल, बनारस

क्या होशंगाबाद.


लोकनाथ

मेंहदौरी के संग

हँसते कुल्लू -मनाली,

अंगीठी में

हाथ सेंकती

ठंडी धूप निराली,

कैनवास पर

अचिंत्य के चित्रों

से मन को आह्लाद.



कवि गीतकार

जयकृष्ण राय तुषार

(यह गीत मंडी हिमांचल में प्रवास कर रहे गीत कवि यश मालवीय के लिए )

गीत कवि यश मालवीय 

6 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक आभार भाई. सादर अभिवादन

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  2. सरल भाषा में शब्दों का मितव्ययता से उपयोग करते हुए भी मनभावन ढंग से रचा गया सुंदर गीत

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    1. आपका हृदय से आभार. सादर प्रणाम भाई साहब

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  3. बहुत सुंदर

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