Thursday 2 March 2023

एक ग़ज़ल -इस बार होली में

चित्र साभार गूगल 

चित्र साभार गूगल 

मित्रों आप सभी को रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनायें

बुरा न मानो होली है यह सनातन पर बना रहे सभी के जीवन में खुशियों का रंग बिखेरता रहे.

एक ग़ज़ल -होली में


न पहले की तरह मस्ती नहीं किरदार होली में
बिना शब्दों की पिचकारी के हैँ अख़बार होली में

न फगुआ है न चैता है नहीं करताल ढोलक है
भरे रिमिक्स गानों से सभी बाज़ार होली में

पुलिस, सैनिक हमारे पर्व में ड्यूटी निभाते हैँ
सदा खुशहाल उनका भी रहे परिवार होली में 

निराला, पंत, बच्चन, रामजी पांडे के दिन क्या थे
महादेवी के घर कवियों का था दरबार होली में 

सियासत की खुशामद कीजिए सच बोलिएगा मत
कहाँ अब व्यंग्य सुनती है कोई सरकार होली में

व्यवस्था न्याय की मँहगी, बिलंबित औ थकाऊ है
इसे मी लार्ड थोड़ा दीजिये रफ़्तार होली में 

नयन काजल लगाए रास्ते में छू गया कोई
गुलाबी हो गए मेरे सभी अशआर होली में

हमारा राष्ट्र सुंदर है हमारी संस्कृति अनुपम
हमारे राष्ट्र के दुश्मन जलें इस बार होली में 

शहर में बस गए बचपन के साथी गाँव सूने हैँ
अबीरें रख के तन्हा है मेरा घर द्वार होली में 

नहीं अब फूल टेसू के मिलावट रंग, गुझिया में
कहो मौसम से अब कोई न हो बीमार होली में 

मवाली माफिया जेलों में बिरयानी लिए बैठे
कहाँ सिस्टम में खामी सोचिए सरकार होली में

नहीं अब कृष्ण, राधा हैँ न गोकुल, नन्द बाबा हैँ
कहाँ अब गोपियों सी भक्ति सच्चा प्यार होली में

नहीं चौपाल पर अब भाँग, सिलबट्टा न होरी है
न भाभी और देवर की बची मनुहार होली में

गली में झूम जोगीरा सुनाती मण्डली गायब
शिवाले पर नहीं पहले सी अब जयकार होली में

कवि जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र साभार गूगल 


23 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर समसामयिक रचना।

    ना रहे होली के रंग पहले जैसे
    ना दिवाली की वह रौनक रही
    ना दादी नानी की कहानियां रहीं
    सिमट रहे हैं परिवार
    चंद लोगों में
    अब कहां पहले जैसे
    वो लम्हे रहे।

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    1. आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  2. गली में झूम जोगीरा सुनाती मण्डली गायब
    शिवाले पर नहीं पहले सी अब जयकार होली में

    सही कहा आपने,फीकी पड़ गई होली की उमंग ,आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनायें

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    1. हार्दिक शुभकामनायें. सादर अभिवादन सहित

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
    शुक्रवारीय अंक में
    आप सभी का स्नेहिल अभिवादन
    -------
    सखि रे!गंध मतायो भीनी
    राग फाग का छायो...

    जीवन में खूबसूरती, रुचि और विविधता से सामंजस्य स्थापित
    करते रंग जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करते हैं।
    प्रकृति के विविध रंगों से श्रृंगारित यह संसार
    मानव मन में जीवन के प्रति अनुराग उत्पन्न करते हैं।
    शोध से ज्ञात हुआ है कि
    रंग व्यक्ति के मन मस्तिष्क पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ते है।
    जीवन में समय के अनुरूप
    एक से दूसरे पल में
    परिवर्तित होते रंग प्रमाण है
    जीवन की क्रियाशीलता का...।

    उत्सव का इंद्रधनुषी रंग
    हाइलाइट कर देता है जीवन के
    कुछ लटों को
    खुशियों के रंगों से ...।
    तो फिर चलिए हमसब मिलकर
    प्रकृति के साथ मिलकर
    रंगों के त्योहार की महक तन-मन में
    भरकर खुशियों का आनंद लें।

    रंगों की अपनी भाषा है और उत्सव के गीतों को परिभाषित करने की आवश्यकता नहीं
    तो आइये आज की इंद्रधनुषी रचनाओं के संसार में..
    इस बार होली में


    शहर में बस गए बचपन के साथी गाँव सूने हैँ
    अबीरें रख के तन्हा है मेरा घर द्वार होली में

    नहीं अब फूल टेसू के मिलावट रंग, गुझिया में
    कहो मौसम से अब कोई न हो बीमार होली में


    रंगी धरा चहुँओर


    सरसों का उबटन मला, मला रगड़कर तैल।

    जला होलिका मध्य सब,तन-मन-धन का मैल॥



    होली में घर आ गये, दूर बसे परिवार।

    लाए हैं सबके लिए, कुछ न कुछ उपहार॥



    रंगों का त्योहार


    उमंग छाया हर दिशा,खुशियाँ है सब ओर।
    दिवस बहुत प्यारा लगे, लगता सुंदर भोर।।

    रंगों से हैं शोभते , सबके सुंदर गाल।
    बस चुटकी भर रंग का,ऐसा दिखे कमाल।।
    मन-उन्मन


    और आनन्द में भय
    उसका समापन .
    कोई क्षण जब सामने आता है ,
    देखें उससे परे ..उस पार सुहाना..
    वह पीड़ित है .
    मलता है हाथ,

    जीने की अभिलाषा ऐसी


    भ्रम पाले अनेक अंतर में

    एक-एक कर टूटा करते,

    सुख की उम्मीदें ही रहतीं

    दुःख के बादल फूटा करते !


    जिसका यह विस्तार पसारा

    वह अनंत जो जान रहा है

    लेक़र उससे कुछ उधार पल

    यह मानस संसार रहा है !





    मातृभाषा के प्रति कृतज्ञता

    भारत ७०० से अधिक भाषाओं की जन्मस्थली है । विश्व के सभी भाषाओं की जननी "संस्कृत" और उसके बाद समकालीन भारत में बोले जाने वाली सभी प्रांतीय भाषाओं और लोक -बोली का जन्म यहीं हुआ । जहाँ हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी पूरे देश को एक मजबूत धागे से जोड़ी रखती है तो वहीं भारत में बोले जाने वाली सभी प्रांतीय भाशाएँ हमें हमारे देश की विविधतापूर्ण संस्कृति से अनुभव कराती है और "विविधता में एकता " के भाव को पोषित करती है । भारत की संस्कृति और महान विचारों को सहेजे हुए , हर भारतीय भाषा अपने आप में सजीव और सम्पन्न है ।
    ------
    आज के लिए इतना ही

    कल का विशेष अंक लेकर

    आ रही हैं प्रिय विभा दी।



















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    1. हार्दिक आभार. सादर अभिवादन. होली की शुभकामनायें

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  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सर।
    रंगों के त्योहार के हर पहलू को छू लिया आपने।
    सादर।

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ मार्च २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. आपका दिल से शुक्रिया. सात रंगों से खिले आपका मन

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  6. आदरणीय सर, बहुत ही सुंदर, उल्लास जगाती हुई भावपूर्ण रचना। होली के त्योहार को उमंग, सैनिक और मानव जाति के लिए शुभ कामनाओं के साथ साथ समाज को बुराइयों पर ठोस प्रहार भी। बहुत ही सुंदर लगी सुंदर लगी आपकी यह रचना। हार्दिक आभार एवं आपको सादर प्रणाम। एक अनुरोध भी कि कृपया मवरे ब्लॉग पर आ कर मेरु भो रचना पढ़ें। मवरे मन में आपकी रचना को पढ़ कर कुछ पंक्तियाँ सूझी, वह लिख रही हूँ:-
    टल चुका संकट, अब खुशियों की बारी है,
    छँट चुका कोरोना का अंधकार होली में।
    रहें चिरायु सब, न कोई रोग से जूँझे,
    करना सुख स्वाथ्य की वर्षा हे दातार होली में।
    लगाना रंग उसको भी, जिसका जीवन हुआ फीका,
    एकाकी न हो कोई, अब की बार होली में।
    आप की रचना मेरे लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गयी। अनेकों बार प्रणाम।

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    1. आपका बहुत बहुत शुक्रिया. ब्लॉग पर आकर सुंदर टिप्पणी करने के लिए आभार. होली की रंग बिरंगी शुभकामनायें

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  7. व्वाहहहहहहह
    बेहतरीन रचना
    आभार
    सादर

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    1. आपका हृदय से आभार. होली की शुभकामनायें

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  8. जी तुषार जी,संभवतः शहरी समाज निश्चित रूप से उत्साह भरे पर्वों से दूर हो गया है।शायद गाँव देहात में लोग कहीं न कहीं त्योहारों में उमंग के मौके ढूंढ ही लेते थे पर सुना है आजकल वहाँ भी लोग शहरी सभ्यता और संस्कृति को अपनाने लगे हैं।बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है सम सामयिक स्थिति पर। यही कहूँगी कि हमें अपनी ओर से अपनी कोशिशें जारी रखनी चाहिए ताकि भावी सन्ततियाँ इन पर्वों का महत्व समझे और उन्हें मनाने का विज्ञान जान सके।आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🙏

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  9. आपकी सारगर्भित टिप्पणी और आपकी चिंता से सहमत. आधुनिकता सांस्कृतिक चेतना को धीरे धीरे खत्म कर रही है. आपको होली की शुभकामनायें. सादर अभिवादन

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  10. वाह!!!
    बहुत सटीक एवं लाजवाब गजल

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    1. हार्दिक आभार. आपकी होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  11. बहुत खूब, सामयिक और सुंदर गजल।

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    1. आपका हार्दिक आभार. होली की शुभकामनायें

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  12. बहुत सुंदर l होली की हार्दिक शुभकामनायें

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    1. हार्दिक आभार. होली की हार्दिक शुभकामनायें

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