Tuesday, 17 January 2023

एक पुरानी ग़ज़ल -नए घर में

गंगा मैया 


एक ग़ज़ल -नए घर में


नए घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो

वहीं से दीप बनकर माँ हमेशा रोशनी देगी


ये सूखी घास अपने लॉन की काटो न तुम भाई

पिता की याद आएगी तो ये फिर से नमी देगी


फ़रक बेटे औ बेटी में है बस महसूस करने का

वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चाँदनी देगी


ये माँ से भी अधिक उजली इसे मलबा न होने दो

ये गंगा है यही दुनिया को फिर से ज़िन्दगी देगी

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


6 comments:



  1. बेहतरीन रचना

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  2. 'नए घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो' हृदयस्पर्शी ग़ज़ल

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  3. आँखें नम करने वालों बंधों से सजी रचना बहुत भाव-पूर्ण है तुषार जी।विगत समय के साथ दिवंगत माता -पिता की पुण्य स्मृतियों को सहेजना हर किसी के बस की बात नहीं।एक अति संवेदनशील मन ही इन्हें संजो सकता है।🙏

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  4. बहुत मर्मांतक है 👌👌👌👌🙏

    नए घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो
    दिया बनकर वहीं से माँ हमेशा रौशनी देगी
    😞😞

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