चित्र साभार गूगल |
भारत राष्ट्र,भारत की संस्कृति महान है।आज़ादी के लिए शहीद होने वाले महान पूर्वजों को कोटि- कोटि नमन !
एक देशगान-हमें यही वरदान चाहिए
भारत का
गौरव,भारत की
संस्कृति का अभिमान चाहिए ।
वन्देमातरम
गूँजे जिसमें
वह भारत बलवान चाहिए ।
जिसके
सागर की लहरों से
शंख,सीपियाँ,ज्वार निकलते,
जिसके,झील
ताल में हँसकर
अनगिन कमल पुष्प हैं खिलते,
उस भारत को
राम-सिया के
अधरों की मुस्कान चाहिए ।
हंसवाहिनी
सिंहवाहिनी
भारत माँ का संकट टालो,
राष्ट्रवाद के
हवनकुण्ड को
करो प्रज्जवलित समिधा डालो,
सोने की
चिड़िया हो जिसमें
हमें वही आख्यान चाहिए ।
सरहद से
सागर तक वीरों
पांचजन्य का शंखनाद हो,
भगत सिंह,आज़ाद
शिवाजी की
बलिदानी कथा याद हो,
हिमगिरि से
सागर तक केवल
जन गण मन का गान चाहिए।
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२७-०१ -२०२२ ) को
'गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ....'(चर्चा-अंक-४३२३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
नमस्ते।आपका हृदय से आभार
Deleteसरहद से
ReplyDeleteसागर तक वीरों
पांचजन्य का शंखनाद हो,
भगत सिंह,आज़ाद
शिवाजी की
बलिदानी कथा याद हो,
हिमगिरि से
सागर तक केवल
जन गण मन का गान चाहिए।
अतिउत्तम भाव..
मनीषा जी नमस्ते।आपका हार्दिक आभार
Deleteवाह लाजबाव देशभक्ति से ओतप्रोत सृजन
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार
Deleteलाज़वाब अभिव्यक्ति सर।
ReplyDeleteदेशभक्ति का गीत रगों में लहू के साथ बहना चाहिए।
नैतिकता यही कहती है।
हार्दिक आभार आपका
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